एक सच्चाई इतिहास की………….कितनी गहरी जड़ें हमारी, वजूद हमारा है जिंदा : ईश्वर श्रीवास

Featured Latest आसपास खास खबर छत्तीसगढ़ प्रदेश

रायपुर| प्रदेश के युवा कवि ईश्वर श्रीवास द्वारा रचित एक कविता जिसमे उन्होंने भारतीय इतिहास में हमारे पुरखो के बलिदान की गाथा का जिक्र करते हुए एक सन्देश दिया है जिसका हुबहू वर्णन समाचार में किया गया है|

एक सच्चाई इतिहास की

—-*——*—– *——

कितनी गहरी जड़ें हमारी, वजूद हमारा है जिंदा।

*नब्बे लाख पांडुलिपि, जलाकर राख किए*

*नौ नौ मंजिला पुस्तकालय, भी खाक किए* 

*धू धू कर छह छह माह तक, जलती रही नालंदा*।

*कितनी गहरी जड़ें हमारी, वजूद हमारा है जिंदा* 

*नोच लिए गर्म चिमटे से तन के सारे मांस

*धर्म नही बदला उसने, जब तक चली सांस*। 

*चीर के बेटे को  कलेजा, मुंह में डाला गया*

*सर काटकर उनका, भाले में उछाला गया*।

*यातना की पराकाष्ठा को, झेला है बैरागी बंदा*

*कितनी गहरी जड़ें हमारी, वजूद हमारा है जिंदा*

*संभा जी और कवि कलश, की भी यही कहानी*

*जुल्म की सीमा पार, सुन आंखों में आए पानी*

*घंटी वाली टोपी पहना, बांध ऊंट से घसीटा था*

*नमक छिड़ककर घावों मे, चाबुको से पीटा था*

*संभा जी की जीभ काटकर, कुत्तों को खिलाया*

*गलती बस उस जुल्मी से, संभा ने आंख मिलाया*

*औरंगजेब के नाम से आज, मानवता है शर्मिंदा*

*कितनी गहरी जड़ें हमारी, वजूद हमारा है जिंदा*|

*हमने अपना माना विश्व, शांति की बात किया*

*विडंबना थी तुमने देव स्थल, पर भी घात किया*

*कितने मंदिर तोडे कितने, आस्था खंडित हुए*

*कैसे इतिहास लिखे लुटेरे, भी महिमा मंडित हुए*

*सत्यता से परे रहा है, भारत  का वशिंदा*

*कितनी गहरी जड़ें हमारी, वजूद हमारा है जिंदा*

 

रचनाकार : ईश्वर श्रीवास  (रामपुर) जिला कोरबा संपर्क सूत्र — 8959076561

 

लोगों को शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *