रायपुर। मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार का नया मॉडल तैयार किया है। यह भ्रष्टाचार है आयातित कोयला के नाम पर घोटालेबाजी का। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि देश में उत्पादित होने वाली 75 प्रतिशत बिजली कोयला आधारित है। हमारे देश में मान लो सौ यूनिट बिजली बनती है तो उसमें से 75 यूनिट बिजली कोयला आधारित बिजली है। मोदी सरकार ने इन कोयला आधारित बिजली घरों के लिये अनिवार्य शर्त लगाया है कि इन बिजली घरों को 10 प्रतिशत कोयला इंपोर्टेड खरीदना पड़ेगा। इसके लिये हास्यास्पद तर्क दिया कि जब तक इंपोर्टेड कोयला ब्लैंड नहीं होगा, मिक्स नहीं होगा, अच्छी बिजली नहीं उत्पन्न होगी। जबकि 70 सालों से देश में घरेलू कोयले में बिजली पैदा की जाती है। देश में उत्पादित की जाने वाली बिजली में अब बाहर से कोयला मंगाने की अनिवार्य शर्त मोदी सरकार ने लगा दिया है। दूसरा जो सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि देश में जो ढाई मिलियन टन जो कोयला आयात होगा उसका इम्पोर्ट करने का ठेका मोदी के चहेते अडानी की कंपनी को मिला है। यह कंपनी प्रति टन 16700 में देश में कोयला सप्लाई करेगी। देश में उत्पादित जिस कोयले की कीमत 2000 रू. से 2500 रू. प्रति टन है वही कोयला अडानी की कंपनी देश की विद्युत उत्पादन कंपनियों को 16700 रु. प्रति टन में सप्लाई करेगी।
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प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि पहले दोस्त के लिए अध्यादेश, नोटिफिकेशन निकालकर बोलो, 10 प्रतिशत आयातित कोयला लगेगा, फिर आयात करने का 4,035 करोड़ का ठेका अडानी एन्टरप्राइजेज को दे दो और फिर जो राज्यों के पावर स्टेशन्स हैं, उनको बोलो कि वो 10 प्रतिशत आयातित कोयला इनसे खरीदें, जो कि डोमेस्टिक प्राइस है, उससे 10 गुना ज्यादा है। यह है मोदी और भाजपा का राष्ट्रवाद। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि जो देश के कोल आधारित, कोयला घर जो बिजली बनाने वाले संयंत्र लगाकर बैठे हैं, वो आज इंपोर्टेड कोयला, अडानी एन्टरप्राइजेज लिमिटेड से, जो देशी कोयला है, उससे 7 से 10 गुना ज्यादा दाम पर खरीद रहे हैं। नतीजा क्या हुआ इस 3 स्टेप मॉडल का कि आपको, मुझे, उद्योंगो को जो कोयले से बिजली बन रही है, क्योंकि 75 प्रतिशत बिजली देश में कोयले से आ रही है, उसके भाव आने वाले समय में बढ़ जाएंगे।