छत्तीसगढ़ की नई तबादला नीति तैयार, राज्य स्तर के तबादले  करेंगे विभागीय मंत्री

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०० 3 साल से लगी थी रोक,मंत्रियों की उप समिति ने मुख्यमंत्री को भेजी सिफारिश

रायपुर| छत्तीसगढ़ की नई तबादला नीति तैयार हो गई है, इसमें ट्रांसफर 16 अगस्त से 15 सितंबर तक करने का फैसला किया गया है। जिला स्तर के तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के स्थानांतरण प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से कलेक्टर करेंगे। बिना प्रभारी मंत्री की सहमति से तबादले नहीं किए जा सकेंगे। तबादले उन्हीं के होंगे जो 15 अगस्त 2021 या उससे पहले से वहां कार्यरत हैं। राज्यस्तरीय तबादले 16 सितंबर से 30 सितंबर तक होंगे। नई नीति में वरिष्ठ अधिकारी का प्रभार किसी कनिष्ठ को देने पर रोक लगाई गई है। आदिवासी इलाकों में अब भी बरसों से फंसे अधिकारियों – कर्मचारियों के स्थानांतरण की संभावना नई नीति में कम नजर आ रही है क्योंकि एवजीदार के आने के बाद ही उन्हें कार्यमुक्त किया जाएगा। प्रदेश में तीन सालों से स्थानांतरण पर बैन था। पिछले महीने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में केबिनेट की बैठक में तबादला नीति बनाने मंत्रिपरिषद की उपसमिति बनाई गई थी। समिति के अध्यक्ष गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, शिक्षामंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, आवास मंत्री मोहम्मद अकबर, नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया, व महिला व बाल विकास विभाग मंत्री अनिला भेंडिया ने बैठकें कर यह नीति बनाई है। इसी उप समिति ने दो बैठकों के बाद अपनी सिफारिश मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भेज दी है।

 

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कलेक्टर यह तय करेंगे कि स्थानांतरण वाला पद जिला कॉडर का है तथा तबादला करने का अधिकार जिला स्तर पर ही है। स्थानांतरण के प्रस्ताव संबंधित विभाग के जिला स्तरीय अधिकारी कलेक्टर के माध्यम से प्रभारी मंत्री को पेश करेंगे। प्रभारी मंत्री का अनुमोदन होने पर कलेक्टर आदेश जारी करेंगे। तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों के के मामलों में काम करने वाले कुल कर्मचारियों की संख्या का अधिकतम दस फीसदी ही स्थानांतरण किया जा सकेगा। यह भी ध्यान रखा जाएगा कि आदिवासी इलाकों में पदस्थ कर्मचारी का मैदानी में तबादला किया जा रहा है तो उसके जगह जाने वाले कर्मचारी का जो मैदानी इलाके से वहां जा रहा है आवेदन हो। इसका मतलब यह है कि गांवों में जितने पद खाली हैं शहरी इलाकों में लगभग उसी के अनुसार पद रिक्त रह सकें। ऐसे हालात न बनें कि शहरों में सब पद भरे रहें और ग्रामीण क्षेत्रों में कर्मचारी न जाएं। जिन पदों व स्थानों पर अधिकारी-कर्मचारी जरूरत से अधिक हैं ऐसे स्थानों से स्थानांतरण न्यूनता वाली जगहों पर हों। किसी भी परिस्थिति में कमी वाली जगहों से भरी वाले स्थानों पर कर्मचारी नहीं भेजे जाएंगे। ताकि पदों का संतुलन बना रहे।

 

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​​​​​ राज्य स्तरीय तबादले विभाग स्तर पर होंगे। ये विभागीय मंत्रियों के अनुमोदन से ही होंगे। प्रथम व द्वितीय श्रेणी के अधिकारियों के मामले में उनके कॉडर में कार्यरत अधिकारियों की कुल संख्या का 15-15 प्रतिशत एवं तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के मामले में कॉडर का 10 फीसदी ही तबादले किए जा सकेंगे। इसमें वे तबादले भी जोड़े जाएंगे जो जिला स्तर पर प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से किए गए हैं। विभागाध्यक्ष से आवेदन सीधे विभागीय मंत्री को नहीं भेजे जाएंगे। प्रस्ताव पहले एसीएस, पीएस, सेक्रेटरी व स्पेशल सेक्रेटरी स्वतंत्र प्रभार के जरिए ही मंत्री को भेजे जाएंगे। अनुमोदन के बाद विभाग आदेश जारी कर सकेगा। इसमें भी आदिवासी क्षेत्र, ग्रामीण व मैदानी इलाकों में पदस्थापना, आधिक्य व न्यूनता को लेकर जिला स्तरीय तबादलों वाला क्लॉज लागू होगा।

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