मोदी के राज में देश का 77 प्रतिशत धन, सिर्फ एक फीसदी पूंजीपतियों के पास
रायपुर। संसद में भाजपा द्वारा यह कहा जाना कि देश में महंगाई है ही नहीं, सीधे-सीधे गरीबों और गरीबी की मार झेल रही आम जनता के जले पर नमक छिड़कने के समान है यह बयान मोदी सरकार की बेशर्मी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि मोदी सरकार जमीनी हकीकत को झुठलाकर अपने नाकारापन को ढकना चाहती है। मोदी सरकार महंगाई के विरुद्ध कोई पुख्ता योजना बनाकर देश की हलाकान जनता को राहत देने के बजाय जनता को भ्रमित कर यह एहसास दिलाना चाहती है कि महंगाई है ही नहीं। क्रूर मोदी सरकार आंकड़ों को कितना भी झुठलाले मगर जनता महंगाई को बखूबी महसूस कर रही है। देश में थोक महंगाई दर 15.9 प्रतिशत और खुदरा महंगाई दर 12.3 प्रतिशत के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी है। आम जनता को रसोई से लेकर सड़क तक महंगाई डस रही है। आम जनता की रसोई में सेंध लगाकर मोदी सरकार अपने उद्योगपति मित्रों के साथ मिलकर मुनाफाखोरी का रिकार्ड बना रही है।
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प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि महंगी गैस, महंगा तेल, थोक और खुदरा महंगाई आजादी के बाद सर्वोच्च शिखर पर है, सिर्फ सत्ता की भूख में मोदी सरकार आम जनता की कमर तोड़ रही है, फिर भी महंगाई से देशवासियों को लूटने का कोई भी अवसर नहीं छोड़ रही है। पेट्रोल-डीजल 100 के पार, रसोई गैस 1000, खाने का तेल 200 के पार। आम जनता बेबस और लाचार है पर मोदी सरकार केवल अपने चांद पूंजीपति मित्रों के मुनाफे की सोच रही है। मोदी सरकार ने पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी विगत 7 साल में 258 परसेंट बढ़ाया है और डीजल पर 820 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। इन तमाम आंकड़ों के बावजूद मोदी सरकार द्वारा महंगाई को झूठलाया जाना यह प्रदर्शित करता है कि महंगाई को काबू करना अयोग्य मोदी सरकार के बस में नहीं है।
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प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि 2 करोड़ रोजगार प्रतिवर्ष देने की बात करने वाली सरकार ने करोड़ों हाथों से रोजगार छीन लिया है। बेरोजगारी का दंश झेल रहे युवा और उनके परिवार इस महंगाई के सामने हार चुके हैं। 2017 में बेरोजगारी दर 4.77 फीसदी थी, जो 2018 में 7, 2019 में 7.6, 2020 में 9.1, 2021 में 7.9 और 2022 में 7.8 फीसदी है। महंगाई और बेरोजगारी की दोहरी मार झेल रही जनता दिन-ब-दिन गरीब होते जा रही है और मोदी सरकार के साथी उद्योगपति हर दिन संपत्ति में इजाफे का रिकॉर्ड बना रहे हैं। यूपीए सरकार के समय 2004 से 2014 के बीच 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए थे। मोदी सरकार ने 2021 तक 23 करोड़ लोगों को फिर से गरीबी के अंधेरे में धकेल दिया। पूंजीपतियों की उंगलियों पर नाचने वाली मोदी सरकार के राज में देश का 77 प्रतिशत धन, सिर्फ एक फीसदी पूंजीपतियों के पास है।