खादी के बजाय पालिस्टर से राष्ट्रध्वज बनवाना राष्ट्रध्वज की आत्मा पर प्रहार
गांधी जी की मूल भावना की हत्या कर रही मोदी सरकार
रायपुर। खादी के बजाय पालिस्टर से राष्ट्रध्वज बनवाना राष्ट्रध्वज की आत्मा पर प्रहार है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा राष्ट्रीय ध्वज निर्माण में पॉलिस्टर की छूट देना गांधीजी के खादी विचार दर्शन पर गहरा आघात है। गांधी जी की मूल भावना की हत्या मोदी सरकार कर रही। इससे बड़ी दुर्भाग्यजनक बात और क्या होगा कि आरएसएस की पाठशाला में तथाकथित रूप से स्वदेशी का पाठ पढ़ने का दावा करने वाली भाजपा की केंद्र सरकार तिरंगा झंडा भी चीन से आयात कर रही है। स्वदेश निर्मित झंडा पर भाजपा को भरोसा नहीं रहा। भाजपा स्वतंत्रता संग्राम के समय से ही तिरंगे का अपमान करती रही है और यह क्रम आजादी के बाद से अभी तक जारी है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शून्य योगदान वाली भारतीय जनता पार्टी, तिरंगे के प्रति प्रेम का आडम्बर कर रही है।
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भारतीय ध्वज संहिता 2002 के भाग 1 में साफ तौर पर लिखा गया था कि राष्ट्रीय ध्वज केवल हाथ से काते गए खादी या सूत के कपड़े का ही होना चाहिए। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने जिस खादी के लिए अंग्रेजों से लोहा लिया था, आज मोदी सरकार उसी का अपमान करने पर तुली हुई है। देशवासियों के हाथों से बना खादी का झंडा ही राष्ट्रध्वज कहलाने का हक रखता है ना कि विदेश से आयातित पॉलिस्टर का झंडा। राष्ट्रीय ध्वज संहिता में स्पष्ट रूप से वर्णित है कि झंडे का प्रयोग व्यावसायिक उद्देश्य के लिए ना किया जाए परंतु आज मोदी सरकार चंद पूंजीपति आयातकर्ता मित्रों को लाभ पहुंचाने हेतु भारतीय ध्वज संहिता में संशोधन कर पॉलिस्टर के झंडे मंगवा रही है।
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प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि पेट्रोल, डीजल और अन्य मूलभूत जरूरतों की चीजों में मुनाफाखोरी के बाद अब मोदी सरकार तिरंगे पर भी मुनाफाखोरी कर रही है। मोदी सरकार के इस पूंजीवादी फैसले से उन पारंपरिक खादी उद्योगों को भी नुकसान होगा जिन्हें भारतीय राष्ट्रीय ध्वज संहिता के तहत तिरंगा बनाने की अनुमति थी। पिछले ही साल प्रधानमंत्री मोदी ने अपने “मन की बात“ में खुद को खादी का संरक्षक बताते हुए भारतीयों से खादी उत्पाद खरीदने का आह्वान किया था। अब अपनी बात से मुकरते हुये मशीन निर्मित और आयातित पॉलिस्टर निर्मित झंडे के आयात की अनुमति देकर मोदी सरकार ने खादी से जुड़ी अंतर्निहित भावना और महात्मा गांधी की आत्मनिर्भरता के उद्देश्य पर हमला किया है। अपने इस निर्णय से उन्होंने हजारों श्रमिकों का रोजगार ही नहीं छीना है, बल्कि हर घर तिरंगा अभियान का मज़ाक भी उड़ाया है और इस मुहिम को हर घर में चीन का बना हुआ तिरंगा बनाकर रख दिया है।