देश का सबसे दुर्दांत खतरनाक नक्सली कमांडर हिडमा लकवा से ग्रसित, कई बड़े नक्सली हमले में रहा है शामिल

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रायपुर : देश के सबसे खतरनाक नक्सली कमांडर हिडमा को लकवा हो गया है. लकवे से ग्रसित हिडमा बस्तर में सबसे बड़े नक्सल हमलों के पीछे रहा है, वह लंबे वक्त तक नक्सलियों के बटालियन नंबर 1 का कमांडर रहा है. फिलहाल हिडमा नक्सलियों के सेंट्रल कमेटी का सदस्य है.

छत्तीसगढ़ के बड़े नक्सली हमलों में शामिल रहा हिडमा

छत्तीसगढ़ में 2010 से 2021 तक बड़े नक्सली हमले हुए. 6 अप्रैल 2010 दंतेवाड़ा जिले के तालमेटाला में सुरक्षाकर्मियों पर हुआ. हमला देश का सबसे बड़ा नक्सली हमला था, इसमें सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हो गए थे. वहीं बस्तर की झीरम घाटी में 25 मई 2013 को बड़ा नक्सली हमला हुआ. इसमें कांग्रेस के 30 नेता और कार्यकर्ताओं की मौत हो गई. इसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल बस्तर टाइटर के नाम से लोकप्रिय महेंद्र कर्मा, पूर्व विधायक उदय मुदलियार, युवा नेता दिनेश पटेल, योगेंद्र शर्मा जैसे बड़े नेताओं की नक्सली हमले में मौत हो गई|

11 मार्च 2014 झीरम घाटी के पास एक इलाके में नक्सलियों ने एक और हमला किया, जिसमें 15 जवान शहीद हुए और एक ग्रामीण की भी इसमें मौत हुई. 12 अप्रैल 2014 बीजापुर और दरभा घाटी में IED ब्लास्ट में 5 जवानों समेत 14 लोगों की मौत, मरने वालों में 7 मतदान कर्मी भी थे. दिसंबर 2014 सुकमा जिले के चिंता गुफा इलाके में एंटी नक्सल ऑपरेशन के दौरान सीआरपीएफ के जवानों पर नक्सलियों ने हमला किया, इसमें 14 जवान शहीद हुए|

24 अप्रैल 2017 छत्तीसगढ़ के सुकमा में लंच करने को बैठे जवानों पर घात लगाकर हमला हुआ, जिसमें 25 से ज्यादा जवान शहीद हो गए. 1 मार्च 2017 सुकमा जिले में सीआरपीएफ के जवानों पर घात लगाकर हमला हुआ. इसमें 11 जवान शहीद हुए. 9 अप्रैल 2019 को लोकसभा चुनाव के दौरान दंतेवाड़ा जिले में विधायक भीमा मंडावी और उनके 4 सुरक्षाकर्मी की मौत हुई. सुकमा में 22 मार्च 2020 में चिंतागुफा इलाके में नक्सली हमले में 17 जवान शहीद हुए|

23 मार्च 2021 को नारायणपुर जिले में माओवादियों ने सुरक्षाबल के जवानों की एक बस को विस्फोटक से उड़ा दिया, जिसमें 5 जवान मारे गए. बीजापुर में 3 अप्रैल 2021 को सुरक्षाबल और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में 22 जवान शहीद हुए है. 6 अप्रैल 2010 दंतेवाड़ा जिले के तालमेटाला में सुरक्षाकर्मियों पर हुआ हमला देश का सबसे बड़ा नक्सली हमला है, इसमें सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हो गए थे.

सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच पिछले 40 सालों से  चल रहा संघर्ष – नक्सल एक्सपर्ट

नक्सल एक्सपर्ट बताते है कि सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच पिछले 40 सालों से बस्तर में संघर्ष चल रहा है. राज्य घटन के बाद छत्तीसगढ़ में 3000 हजार से अधिक मुठभेड़ हुई है. गृह विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार जनवरी 2001 से मई 2019 तक नक्सली हिंसा में 1002 नक्सलियों की मौत हुई है, और 1200 से अधिक जवान शहीद हुए है. इसके अलावा 1700 के आस पास आम नागरिकों की नक्सल अटैक में मौत हुई है. वहीं इस दौरान सरकार को नक्सलियों का नेटवर्क तोड़ने में बड़ी सफलता मिली है. क्योंकि लगातार नक्सली समर्पण कर रहे है. गृह विभाग के आंकड़े के अनुसार 3800 से अधिक नक्सलियों ने समर्पण किया है|

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