रायपुर। बहुचर्चित नान (नागरिक आपूर्ति निगम) घोटाला मामले में छत्तीसगढ़ कैडर के सेवानिवृत्त आईपीएस मुकेश गुप्ता और बिलासपुर एसपी रजनेश सिंह को बड़ी राहत मिली है। एंटी करप्शन ब्यूरो ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट पेश कर दी है। इसमें कहा गया है कि दोनों अफसरों पर जो आरोप लगाए गए, वह अपराध हुआ ही नहीं।
मुकेश गुप्ता के एसीबी प्रमुख और रजनेश सिंह के एजेंसी में एसपी रहने के दौरान आरोप लगे कि उन्होंने नान घोटाला मामले में कई लोगों के फोन टेप कराए। इसका उपयोग नान घोटाला मामले में कार्रवाई करने के लिए किया। 2018 में राज्य की सत्ता में आने के बाद कांग्रेस सरकार ने नान घोटाले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था।
कांग्रेस सरकार ने दर्ज कराई थी एफआईआर
इस जांच के बाद दावा किया गया कि नान घोटाले की जांच के दौरान एसीबी प्रमुख रहे मुकेश गुप्ता और एसपी की जिम्मेदारी संभालते हुए रजनेश सिंह ने फर्जी दस्तावेज तैयार किए। अवैध तरीके से अफसरों-नेताओं के फोन टेप किए गए। इस आरोप के आधार पर राज्य सरकार ने दोनों अधिकारियों को निलंबित करते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी। बाद में मुकेश गुप्ता को सुप्रीम कोर्ट से इस कार्रवाई के विरुद्ध स्टे मिल गया था।
तीन साल सस्पेंड रहे आईपीएस मुकेश गुप्ता
आईपीएस मुकेश गुप्ता, सेवानिवृत्त 1988 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के अफसर हैं। नान घोटाला मामले में कथित संलिप्तता को लेकर प्रदेश सरकार ने उन्हें नौ फरवरी 2019 को निलंबित कर दिया था। मुकेश गुप्ता को कैट से राहत मिलने के बाद राज्य सरकार ने कोर्ट में याचिका लगाई थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मुकेश गुप्ता के निलंबन को वापस ले लिया था।