ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है, ‘झीरम हमले में 2-3 लोगों से पूछताछ की जरूरत’: सीएम भूपेश बघेल

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रायपुर| 25 मई को झीरम हमले की बरसी है इस घटना को 10 साल बीत चुके हैं लेकिन अब तक झीरम का सच बाहर नहीं आ पाया है। पीड़ित परिवार अब भी न्याय का इंतजार कर रहे है। इसकी जांच से जुड़े मसले को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का बड़ा बयान सामने आया है। सीएम ने कहा कि इसकी जांच के लिए ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है, केवल उस समय शीर्ष में बैठे 2-4 लोगों को पकड़कर पूछताछ करने की जरूरत है।

सीएम ने कहा कि न्याय के लिए अब भी लड़ रहे हैं, जब जांच के लिए SIT गठित करते हैं तब NIA हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट चली जाती है। प्रधानमंत्री, गृहमंत्री को भी जांच के लिए लिखते हैं। हमें SIT गठित करने की अनुमति क्यों नहीं देते। बीजेपी में पार्टी अध्यक्ष का फेस सामने रखकर कार्यक्रम करने का फरमान जारी किया गया है। इसे लेकर सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि इसका मतलब यह है कि अंदर खाने बहुत गड़बड़ चल रहा है। कोई किसी को नेता मानने को तैयार नहीं है चाहे रमन सिंह हो, बृजमोहन अग्रवाल हो, अरुण साव हों या फिर कोई और कोई किसी को एक दूसरे को नेता मानने को तैयार नहीं। पहले हंटर चलाने वाली आकर चली गई। उसके बाद जामवाल आए और अब ओम माथुर आए हैं, अब वैसे ही स्थिति चल रही है जैसे पुरंदेश्वरी के समय थी।
रामायण महोत्सव के आमंत्रण को लेकर सीएम ने कहा

सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को निमंत्रण दिया गया है। उसमें सभी पार्टियों के लोग हैं कुछ क्षेत्रीय दल के और भारतीय जनता पार्टी के भी हैं। सभी मुख्यमंत्रियों को मैंने पत्र लिखा है और दूसरी बात ये है कि हम छत्तीसगढ़ की जो संस्कृति है उसे आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। आदिवासी नृत्य महोत्सव आज स्थापित हो गया 3 साल से लगातार आयोजन किया जा रहा है। देश और विदेश में हमारी पहचान बनी है। रामायण गांव-गांव में इसका आयोजन होता है। पहले प्रदेश स्तर पर आयोजन किए थे और उसकी लोकप्रियता को देखते हुए राष्ट्रीय स्तर पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।

कब सामने आएगा झीरम का सच

25 मई 2013 को कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा में माओवादियों का हमला हुआ था। जिसमें नक्सलियों के हाथों छत्तीसगढ़ कांग्रेस के शीर्ष स्तर के कई नेता मारे गए थे। ये एक ऐसी हिंसा थी जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया था, फिर भी जांच अब तक अधूरी है। झीरम हमले में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, पूर्व केन्द्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल और बस्तर टाइगर कहे जाने वाले महेन्द्र कर्मा की मौत हुई थी।

इसके अलावा योगेंद्र शर्मा, उदय मुदलियार और प्रफुल्ल शुक्ला जैसे कांग्रेस नेताओं ने भी अपनी जान गंवाई थी। इस घटना को सुपारी किलिंग से जोड़कर देखा जा रहा था। झीरम की घटना को 10 साल पूरे होने वाले हैं लेकिन पीड़ितों को न्याय नहीं मिल सका। इस मामले की जांच NIA कर रही थी जो अब बंद हो चुकी है। साथ ही राज्य सरकार ने भी जांच के लिए SIT का गठन किया है लेकिन NIA द्वारा जांच रिपोर्ट नहीं मिलने के कारण अब तक जांच पूरी नहीं हो पाई है।

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