MP News : महंत विजयराम दास की पुलिस कस्टडी में मौत, TI सहित 5 पुलिसकर्मी सस्पेंड, जानिए पूरा मामला

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रायसेन : जिले में  पुलिस ने दुष्कर्म के आरोप में महंत विजयराम दास को कस्टडी में लिया। मंगलवार (24 दिसंबर) को महंत विजयराम ने जहर पीकर आत्महत्या कर ली। बुधवार (25 दिसंबर) को विजयराम का अंतिम संस्कार किया गया। परिजनों ने महंत की हत्या का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की। इसके बाद एसपी पंकज कुमार पाण्डेय ने महंत की सुरक्षा व्यवस्था में लापरवाही बरतने पर महिला थाना टीआई सहित पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है।

जानें पूरा मामला 
महगवां रामजानकी मंदिर सिलवानी के महंत विजयराम दास पर नाबालिग लड़की के साथ दुराचार का गंभीर आरोप था। DNA रिपोर्ट आने के बाद पुलिस ने आरोपी महंत को गिरफ्तार किया था। मंगलवार को पुलिस महंत को उसके आश्रम में जांच करने के लिए लेकर गई। यहां फ्रेश होने की बात कहकर महंत अंदर गया और जहर खा लिया। पुलिस ने विजयराम को रायसेन के जिला अस्पताल में भर्ती करवाया। इलाज के दौरान विजयराम की मौत हो गई।

अंतिम संस्कार से पहले हंगामा
पुलिस बुधवार को विजयराम दास के पार्थिव शरीर को नर्मदा घाट कैलकच्छ में जलसमाधि देने के लिए लेकर पहुंची। इसी बीच महंत के परिजन और शिष्यों के न्याय की मांग करते हुए अंतिम संस्कार नहीं करने दिया। महंत की हत्या का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की। एसडीएम संतोष मुद्गल सहित कई प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। आक्रोशित लोगों को समझाया जिसके बाद शाम 6 बजे महंत को जलसमाधि दी गई।

थाना प्रभारी सहित 6 पुलिसकर्मी सस्पेंड
पुलिस अभिरक्षा में महंत की मौत के बाद एसपी पंकज कुमार पाण्डेय ने बड़ी कार्रवाई की है। एसपी ने महंत की सुरक्षा व्यवस्था में लापरवाही बरतने पर महिला थाना टीआई अपाला सिंह समेत दिलीप भदोरिया, रणविजय सिंह, महेंद्र सिंह राजपूत और कॉन्स्टेबल संजय शाक्य को निलंबित कर दिया है। इन्हें पुलिस लाइन में अटैच किया है।

आखिर क्या है पूरा मामला
सूत्रों के मुताबिक, बौरास में नर्मदा नदी तट पर राम जानकी मंदिर है। मंदिर परिसर में विद्यालय सहित आश्रम भी है। पहले महामंडलेश्वर राघव दास महाराज यहां रहते थे। दो साल पहले उनका निधन हो गया था। इसके बाद गादी को लेकर विवाद हुआ था। फिर गादी को दो हिस्सों में कर कर दी गई। एक महंत विजयराम दास को सिलवानी के मेहगवां की जमीन और महंती दी गई। दूसरे वीरेंद्र दास महाराज को बोरास मंदिर की जमीन और महंती दी गई।

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