रायपुर : सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले पर सुनवाई करते हुए हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे आरोपी को बरी कर दिया है. छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले के रहने वाले फिरूराम साहू के खिलाफ अपने भाई की पत्नी की हत्या का आरोप था. फास्ट ट्रैक कोर्ट ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी. हाई कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद बिलासपुर के युवा वकील शिवांक मिश्रा ने इस केस में परिजनों का साथ दिया. उनकी मेहनत से तीन साल बाद आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने फिरूराम साहू को बरी कर दिया है.
क्या है पूरा मामला?
फिरूराम साहू पर उनके छोटे भाई की पत्नी की हत्या का आरोप था. जुलाई 2023 में सक्ती की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इसके बाद साहू परिवार ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट, बिलासपुर में अपील की लेकिन जनवरी 2024 में अपील खारिज होने से उनकी उम्मीदें टूट गईं. इसके बाद भी हार न मानते हुए परिवार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.
युवा वकील शिवांक की मेहनत लाई रंग
इस केस को बिलासपुर के 24 साल के युवा वकील शिवांक मिश्रा ने अपने हाथों में लिया. शिवांक ने अपनी कानूनी समझ और समर्पण से साहू परिवार का साथ दिया. उन्होंने केस की गहराई से पड़ताल की और सुप्रीम कोर्ट में दमदार तरीके से तर्क रखा कि फिरूराम साहू के खिलाफ सबूत अपर्याप्त थे. उनके तार्किक और प्रभावी पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को प्रभावित किया.
कोर्ट ने किया बरी
29 अप्रैल 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि फिरूराम साहू को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं. इस आधार पर फिरूराम साहू को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया गया.
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की बेंच ने अपने फैसले में कहा- ‘एकमात्र परिस्थिति मानव रक्त से सना हुआ ‘टेस्सी’ बरामद होना है, जो आरोपी को हत्या का दोषी ठहराने के लिए अपर्याप्त है.’ यह फैसला साहू परिवार के लिए राहत और खुशी का क्षण लेकर आया है.