बिलासपुर। हाईकोर्ट ने पति-पत्नी के पारिवारिक विवाद और तलाक को लेकर दायर याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि, सबूत के बिना पत्नी की चरित्र पर आरोप लगाना उसके साथ क्रूरता है। हाईकोर्ट ने पति की अपील को खारिज कर फैमिली कोर्ट के आदेश को सही ठहराया है।
दरअसल, रायगढ़ जिले में रहने वाले युवक और ओडिशा के सुंदरगढ़ की युवती के साथ 24 जून 2012 में हिंदू रीति-रिवाज के साथ शादी हुई थी। उनके दो बच्चे है, जिनमें एक बेटी और एक बेटा हैं। अभी दोनों बच्चे पत्नी के साथ रह रहे हैं। 2018 में पत्नी दोनों बच्चों को लेकर अपने मायके चली गई। इसके बाद पति ने परिवार न्यायालय में तलाक के लिए आवेदन पेश किया। आवेदन में पति ने अपनी पत्नी की चरित्र पर शक करते हुए अवैध संबंध के आरोप लगाए। इधर, पत्नी ने अपना पक्ष रखते हुए कोर्ट को बताया कि वह प्रताड़ित की जाती थी।
पत्नी के खिलाफ एक भी साक्ष्य नहीं
इसके खिलाफ पति ने हाईकोर्ट में अपील की और दोनों बच्चों की कस्टडी भी मांगी। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पत्नी पर व्यभिचार के आरोपों के साथ ही मोबाइल पर बातचीत को छोड़कर कोई भी इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य अभिलेख पर उपलब्ध नहीं है। इस बात का भी स्पष्ट प्रमाण नहीं है कि उनका विवाह के बाहर कोई संबंध है। हाईकोर्ट ने फैसले में कहा कि अगर पत्नी की चरित्र की पवित्रता पर आरोप लगाया जाता है, तो यह पति की तरफ से पत्नी के खिलाफ क्रूरता के समान है। पति ने अपनी पत्नी के साथ क्रूरता की, जिस कारण उसकी पत्नी को अलग रहने का उचित कारण मिला। ऐसे में फैमिली कोर्ट के आदेश पर हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। जिसके बाद हाईकोर्ट ने पति की अपील को खारिज कर दी है।