बीजापुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले से आज एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने एक बार फिर नक्सलियों के दोहरे चरित्र और निर्दयी मानसिकता को उजागर कर दिया है। जिले के मद्देड़ थाना क्षेत्र के बंदेपारा जंगल में माओवादियों द्वारा ही लगाए गए इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) में धमाका हो गया, जिसमें एक महिला नक्सली गंभीर रूप से घायल हो गई। विस्फोट के बाद उसके साथी नक्सली उसका हथियार लेकर मौके से फरार हो गए और उसे जंगल में ही तड़पता छोड़ दिया। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, यह घटना आज सुबह की है, जब नक्सलियों का एक दस्ता बंदेपारा के घने जंगल में किसी नई योजना को अमल में लाने के लिए एकत्रित हुआ था। बताया जा रहा है कि ये नक्सली सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के लिए IED लगाते समय गलती से अपने ही विस्फोटक जाल में फंस गए। विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि महिला नक्सली गुज्जा सोढ़ी गंभीर रूप से घायल हो गई, जबकि बाकी नक्सली साथी मौके से भाग निकले।
घटना की जानकारी सबसे पहले आसपास के ग्रामीणों को हुई, जिन्होंने डर के बावजूद साहस दिखाते हुए पुलिस को इसकी सूचना दी। जानकारी मिलते ही मद्देड़ थाना प्रभारी के नेतृत्व में एक पुलिस टीम मौके पर रवाना हुई। टीम ने ग्रामीणों की मदद से घायल महिला को जंगल से बाहर निकाला और प्राथमिक उपचार के बाद जिला अस्पताल बीजापुर में भर्ती कराया गया। पुलिस ने बताया कि घायल महिला की पहचान गुज्जा सोढ़ी के रूप में हुई है, जो पिछले 6 से 7 वर्षों से मद्देड़ एरिया कमेटी में सक्रिय थी। वह एरिया कमेटी मेंबर (ACM) कन्ना बुच्चना के साथ पार्टी सदस्य के रूप में कार्य कर रही थी और उसके पास 12 बोर की बंदूक थी। पुलिस सूत्रों ने यह भी बताया कि गुज्जा सोढ़ी नक्सल संगठन के कई हिंसक अभियानों में शामिल रही है और उस पर पुलिस रिकॉर्ड में कई मामले दर्ज हैं।
बीजापुर एसपी ने बताया कि यह घटना माओवादियों के आतंरिक अव्यवस्था और मानवीयता के अभाव का प्रतीक है। उन्होंने कहा, “माओवादियों के लिए उनके अपने साथी भी expendable हैं। जब कोई घायल होता है या सुरक्षा बलों से भिड़ंत में फंस जाता है, तो ये अपने साथियों को छोड़कर भाग जाते हैं। यह घटना उनकी तथाकथित विचारधारा का असली चेहरा उजागर करती है।” उन्होंने आगे बताया कि घायल महिला को जिला अस्पताल में प्राथमिक चिकित्सा दी जा रही है, और उसकी स्थिति अब स्थिर बताई जा रही है। पुलिस के अनुसार, यदि आवश्यक हुआ तो बेहतर इलाज के लिए उसे रायपुर रेफर किया जा सकता है। घटना के बाद पुलिस और सीआरपीएफ की संयुक्त टीम ने पूरे इलाके में सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया है। जंगल के भीतर कई संदिग्ध गतिविधियों की खबरें हैं, और संभावना जताई जा रही है कि यह वही दस्ता था जो बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा जिलों की सीमा पर सुरक्षा बलों पर बड़े हमले की योजना बना रहा था।
सुरक्षा बलों ने इस घटना को नक्सलियों की “आंतरिक तकनीकी विफलता” बताया है। अधिकारियों का कहना है कि यह संभव है कि विस्फोटक लगाने के दौरान वायरिंग या डेटोनेटर कनेक्शन में त्रुटि हुई हो, जिससे यह दुर्घटना हुई। ऐसे हादसे अक्सर नक्सलियों की ओर से की गई जल्दबाजी और सुरक्षा प्रोटोकॉल की अनदेखी के कारण होते हैं। पुलिस अधिकारियों का यह भी मानना है कि नक्सल संगठन अब लगातार कमजोर पड़ता जा रहा है। हाल के महीनों में बीजापुर, नारायणपुर और सुकमा क्षेत्रों में माओवादी संगठन को बड़े झटके लगे हैं। दर्जनों सक्रिय माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं, और कई बार सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ों में नक्सली मारे गए हैं। इस वजह से संगठन के भीतर मनोबल गिरा है और शीर्ष नेतृत्व के निर्देशों का पालन भी कम हो रहा है।