रोज़गार से निर्माण तक : मनरेगा कुएँ के जल से बनी पीएम आवास की ईंटें, एक छोटे किसान की आत्मनिर्भरता की कहानी

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रायपुर : बीजापुर जिले के जनपद पंचायत भैरमगढ़ की ग्राम पंचायत रानीबोदली के निवासी श्री सोमड़ू ऑडी महात्मा गांधी नरेगा योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के सफल क्रियान्वयन की एक प्रेरक मिसाल हैं।सोमड़ू ऑडी एक छोटे किसान हैं। उनके पास सीमित कृषि भूमि थी और सिंचाई की कोई स्थायी व्यवस्था नहीं थी। वर्षा पर निर्भर खेती के कारण वे केवल धान की एक ही फसल ले पाते थे। कम उत्पादन और कम आय के कारण परिवार की जरूरतें पूरी करना उनके लिए कठिन था।

मनरेगा से बदली जीवन की दिशा

महात्मा गांधी नरेगा योजना के अंतर्गत श्री सोमड़ू ऑडी के खेत में कुएँ का निर्माण स्वीकृत हुआ। लगभग 3 लाख रुपये की लागत से कुएँ का निर्माण किया गया। इस कार्य से गांव के 13 जॉब कार्डधारी परिवारों के 42 श्रमिकों को 645 मानव-दिवस का रोजगार भी मिला।

सिंचाई से बढ़ी आय

कुएँ के निर्माण के बाद श्री सोमड़ू के लगभग 2 एकड़ खेत में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो गई। अब वे धान की फसल के बाद सब्जियों की खेती भी करने लगे। इससे उनके परिवार को ताजी और पोषक सब्जियां मिलने लगीं। अतिरिक्त सब्जियों की बिक्री से उन्हें लगभग 10 हजार रुपये की अतिरिक्त आय हुई।

कुएँ के पानी से बना पक्का घर

सोमड़ू ऑडी को प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत वर्ष 2024–25 में पक्का मकान स्वीकृत हुआ। उन्होंने मनरेगा से बने कुएँ के पानी का उपयोग कर घर पर ही लगभग 35 हजार ईंटों का निर्माण किया। इनमें से 17 हजार ईंटें बेचकर करीब 40 हजार रुपये की अतिरिक्त आय अर्जित की गई। शेष ईंटों का उपयोग वे अपने प्रधानमंत्री आवास के निर्माण में कर रहे हैं। इस प्रकार उनका पक्का घर तेजी से बन रहा है।

आत्मनिर्भरता की सशक्त मिसाल

आज श्री सोमड़ू ऑडी एक आत्मनिर्भर किसान बन चुके हैं। मनरेगा से बना कुआँ उनकी खेती, आय और आवास निर्माण का मजबूत आधार बना है। इससे उनके परिवार का जीवन स्तर बेहतर हुआ है।यह सफलता की कहानी साबित करती है कि सरकारी योजनाओं का सही और प्रभावी क्रियान्वयन ग्रामीण परिवारों को स्थायी आजीविका, सम्मानजनक जीवन और आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ा सकता है।

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