लाल किले में विक्रमादित्य पर पेश हुआ नाटक, उपराष्ट्रपति बोले- वक्त अंग्रेजियत छोड़ना का, सीएम मोहन यादव- हमारी संस्कृति अंतहीन

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भोपाल : शनिवार यानी 12 अप्रैल को दिल्ली के लाल किले में 3 दिवसीय विक्रमोत्सव की शुरुआत हुई. इस उत्सव की शुरुआत उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने की. इसे मौके पर सम्राट विक्रमादित्य पर एक नाट्य का आयोजन किया गया. इसमें 125 कलाकारों और 50 सहयोगियों ने हिस्सा लिया. सम्राट के जन्म से लेकर उनके सम्राट बनने तक की कहानियों को पेश किया गया. इस अवसर पर मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, सीएम मोहन यादव और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता मौजूद रहीं.

‘वक्त अंग्रेजियत छोड़ने का’

इस कार्यक्रम को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संबोधित किया. कहा कि विक्रमोत्सव 2025 का आयोजन दिल्ली में होना बहुत ही सकारात्मक कदम है. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव साधुवाद के पात्र हैं. वे स्वयं नाट्य प्रेमी हैं, इसी प्रकार के नाट्य आयोजन में आपने सम्राट विक्रमादित्य के पिता की भूमिका निभाई थी.

उन्होंने आगे कहा कि अब वक्त आ गया है कि हमें अंग्रेजियत को छोड़ देना चाहिए. तकनीकी शिक्षा अब विभिन्न भारतीय भाषाओं में संभव हो चुकी है. यह एक क्रांतिकारी बदलाव है. उपराष्ट्रपति ने सीएम की तारीफ करते हुए कहा कि आप साधुवाद के पात्र है. दिल्ली दिल वालों की है. आपने हर दृष्टि से असर यहां छोड़ा है.

‘हमारी संस्कृति अंतहीन है’

सीएम मोहन यादव ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी सनातन संस्कृति अंतहीन है. ये हमारे आक्रांताओं ने हमारी संस्कृति और सभ्यता को चुनौती दी लेकिन हमारे साधु-संत और राजा-महाराजाओं ने इसे बचाने की कोशिश की. उन्होंने आगे कहा कि यह गंगा की धारा की भांति सदैव उज्ज्वल, निर्मल और अविरल बहती रहेगी.

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