बकरी पालन में अतिरिक्त आय से फूलसाय बना आत्मनिर्भर, मनरेगा के तहत मिलने वाले अकुशल श्रम पर निर्भरता लगभग समाप्त

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रायपुर : सही समय पर मिली एक छोटी मदद से भी विकास की नई संभावनाएं खुल जाती हैं। ऐसा ही हुआ है कोरिया जिले के वनांचल सोनहत के ग्राम पंचायत कैलाशपुर में रहने वाले श्री फूलसाय के साथ। इन्हे बकरी पालन के कार्य में सुरक्षा को लेकर पहले बेहद चिंता रहती थी और वह चाहकर भी बड़े स्तर पर बकरी पालन नहीं कर पाते थे। लेकिन महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी योजना के तहत बने पक्के बकरी शेड ने उनकी सारी समस्याओं का निराकरण कर दिया है। अब वह स्वरोजगार के तौर पर बकरी पालन कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं और अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं इससे उनकी मनरेगा के तहत मिलने वाले अकुशल श्रम पर निर्भरता लगभग समाप्त हो गई है।

कार्य का विवरण
हितग्राही श्री फूलसाय मनरेगा के अंतर्गत ग्राम पंचायत कैलाशपुर में एक पंजीकृत श्रमिक परिवार के मुखिया हैं। इनके आवेदन पर ग्राम सभा के पारित प्रस्ताव अनुसार गत वित्तीय वर्ष में लगभग डेढ़ लाख रूपए से बकरी पालन शेड बनाए जाने की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई। ग्राम पंचायत कैलाशपुर को इस कार्य के लिए निर्माण एजेंसी बनाया गया।

कार्य का वर्तमान प्रभावः
महात्मा गांधी नरेगा के तहत पंजीकृत अकुशल श्रमिक के तौर पर दर्ज हितग्राही श्री फूलसाय पहले केवल वर्षा आधारित परंपरागत खेती पर ही निर्भर रहते थे। खेती के बाद वह अपने रोजगार के लिए मनरेगा के अकुशल श्रम से आय अर्जित करते थे। इस तरह से दैनिक जीवन में उनकी आय के साधन बेहद सीमित थे। पर जब से उनके पास एक अच्छा बकरी शेड बन गया है। वह पूरा ध्यान बकरी पालन पर लगाकर बढ़िया आय अर्जित कर रहे हैं।

कार्य सफलता ने बदला जीवन स्तर

बकरी पालन से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ चुके किसान फूलसाय ने बताया कि हमारे परिवार का मूल काम बकरी पालन ही था। खेती से कुछ खास कमाई नहीं होने से मनरेगा और दूसरे काम पर निर्भर रहना पड़ता था। लेकिन जब से शेड बना है, डेढ़ दर्जन बकरे बकरी एक साथ पालने की सहूलियत हो गई है और अब बकरे बेचकर अच्छी आय हो रही है। मेरे लिए रोजगार की चिंता समाप्त हो गई है।

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