सीजीएमएससी घोटाला मामले में बड़ी कार्रवाई: ईओडब्लू ने 6 आरोपियों के खिलाफ 18 हजार पन्नों की चार्जशीट कोर्ट में की पेश

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रायपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (सीजीएमएससी) के 421 करोड़ रुपये के घोटाले में एक बड़ी कानूनी कार्रवाई सामने आई है। आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (ईओडब्लू) ने इस घोटाले में करीब 18 हजार पन्नों का चालान तैयार कर विशेष अदालत में पेश कर दिया है। ईओडब्लू की विशेष अदालत में दाखिल इस चार्जशीट में अब तक गिरफ्तार सभी 6 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए गए हैं। इन सभी आरोपियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेश किया गया।

बता दें कि जिन 6 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए गए हैं, उनमें सीजीएमएससी के तत्कालीन प्रभारी महाप्रबंधक बसंत कुमार कौशिक, बायो मेडिकल इंजीनियर छिरोद रौतिया, उपप्रबंधक कमलकांत पाटनवार, डॉ. अनिल परसाई, मेडिकल इंजीनियर दीपक कुमार बंधे और मोक्षित कॉर्पोरेशन के संचालक शशांक चोपड़ा का नाम शामिल है।

छत्तीसगढ़ के राजकोष को किया गया खाली

कांग्रेस शासनकाल में स्वास्थ्य विभाग के सीजीएमएससी ने मोक्षित कॉरपोरेशन के माध्यम से छत्तीसगढ़ की राजकोष को खाली किया गया था. इस पूरे मामले को लेकर भारतीय लेखा एंव लेखापरीक्षा विभाग के प्रिंसिपल अकाउंटेंट जनरल (ऑडिट) आईएएस यशवंत कुमार ने एडिशनल चीफ सेक्रेटरी मनोज कुमार पिंगआ को पत्र लिखा था.

दो साल के ऑडिट में खुली थी पोल

लेखा परीक्षा की टीम की ओर से सीजीएमएससी की सप्लाई दवा और उपकरण को लेकर वित्त वर्ष 2022-24 और 2023-24 के दस्तावेज को खंगाला गया तो कंपनी ने बिना बजट आवंटन के 660 करोड़ रुपये की खरीदी की थी, जिसे ऑडिट टीम ने पकड़ लिया था. ऑडिट में पाया गया है कि पिछले दो सालों में आवश्यकता से ज्यादा खरीदे केमिकल और उपकरण को खपाने के चक्कर में नियम कानून को भी दरकिनार किया गया.

बिना जरूरत की हॉस्पिटलों को सप्लाई

प्रदेश के 776 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों सप्लाई की गई, जिनमें से 350 से अधिक ही प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ऐसे हैं, जिसमें कोई तकनीकी, जनशक्ति और भंडारण सुविधा उपलब्ध ही नहीं थी. ऑडिट टीम के अनुसार डीएचएस ने स्वास्थ्य देखभाल की सुविधाओं में बेसलाइन सर्वेक्षण और अंतर विश्लेषण किए बिना ही उपकरणों और रीएजेंट मांग पत्र जारी किया था.

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