पक्षीघर : प्रदेश का पहला पक्षी घर, 45 फीट ऊचा अष्टकोणीय आकार, इसमें करीब 500 से 2000 तक पक्षी रह सकेंगे

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दुर्ग : छत्तीसगढ़ जंगलो, पहाड़ो और नदियों का प्रदेश है. कुदरत ने इस राज्य को कई तरह की खूबसूरतियां प्रदान की है. यही वजह है कि यहां के जंगलों में कई तरह के जानवर, जीव जंतु और पक्षियां पाए जाते हैं. इस सबके बीच दुर्ग में छत्तीसगढ़ का पहला पक्षी घर तैयार होने का दावा गौ सेवा समर्पण समिति की तरफ से किया गया है.

इस समिति का दावा है कि निर्माणाधीन गौशाला विश्व गीता गौधाम में लगभग 45 फीट ऊंचा पक्षी घर बनवाया गया है. इस पक्षी घर का निर्माण कुम्हारी और परसदा गांव के बीच किया गया है. अभी यह पक्षी घर पूरी तरह से शुरू नहीं हुआ है. जल्द ही यह शुरू हो जाएगा. इसमें अभी 90 फीसदी तक काम हुआ है.

गुजरात के विशेषज्ञों ने तैयार किया पक्षी घर

गौ सेवा समर्पण समिति के गोपाल प्रसाद सुल्तानिया ने बताया है कि इस पक्षी घर को गुजरात के सिरपुर के विशेषज्ञों ने तैयार किया है. इसमें 700 से अधिक घोंसले बने हुए हैं. जिसमे करीब 500 से 2000 तक पक्षी रह सकेंगे. इसका आधार 42 फीट ऊंचा है.जिसके ऊपर 45 फीट ऊंचा अष्टकोणीय आकार का पक्षी घर है.इस पक्षी घर को बनाने में गुजरात कारीगरों ने सात दिन का समय लिया है. इस पक्षी घर के निर्माण में लगभग 40 लाख रुपए खर्च हुए हैं. अब पक्षी घर के नीचे जमीन पर बड़ा चबूतरा बनाया जाएगा. जहां पक्षियों के लिए दाना-पानी को व्यवस्था की जाएगी. यह परियोजना पक्षियों के संरक्षण और संवर्धनके लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. पक्षी घर के अलावा एक गौधाम बनाया जा रहा है.

मैं बचपन में पक्षियों की चहचहाने की आवाज सुनकर सुबह उठा करता था. जब से मैं बड़ा हुआ तो पक्षी गायब होने लगे. इसकी वजह शहर में ऊंची इमारतें बनाया जाना है. इस वजह से मैंने पक्षी घर बनाने का फैसला किया, जिससे शहर में पक्षियों की चहचहाहट फिर से सुनाई दे. हम विश्व गीता गौधाम भी बना रहे हैं. इस गौशाला में 300 गाएं होंगी-

गोपाल सुल्तानिया,विश्व गीता गौ सेवा संस्थान और पक्षी घर के संचालक

पक्षी घर और गौधाम की क्या है खासियत?:

गोपाल प्रसाद सुल्तानिया ने बताया कि इस परिसर में गौ-गोविंद मंदिर भी बनाया जा रहा है, जो प्रदेश में अपनी तरह का पहला मंदिर होगा. गौशाला,पक्षी घर और मंदिर के निर्माण पर लगभग 8 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं.पाटन पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने विधानसभा क्षेत्र में 4 वैट लैंड का निर्माण किया है. जिसमे प्रतिवर्ष इन क्षेत्रों में हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षी भी आकर बसेरा करते हैं. आसपास का इलाका भी कई प्रकार की पक्षियों का विचरण क्षेत्र भी है.

कुम्हारी से लगे पाटन क्षेत्र में करीब चार वेट लैंड है. जिसके कारण इस बात की उम्मीद की जा रही है,की यह पक्षी घर उन प्रवासी पक्षियों का नया बसेरासिद्धहो सकेगा. यहां आने वाले पक्षियों के दाना पानी की व्यवस्था संस्था के द्वारा की जाएगी-

गोपाल सुल्तानिया,विश्व गीता गौ सेवा संस्थान और पक्षी घर केसंचालक

पर्यावरण का ह्ास हो रहा है. जिससे हमारी जैव विविधता नष्ट हो रही है. पेड़ों के कटने से पक्षियों का रहवास खत्म हो रहा है. ऐसी स्थिति में अगर कोई संस्थान अपने निजी स्तर पर पक्षियों का निर्माण करवा रहा है तो वह काबिल-ए-तारीफ है. इस तरह की पहल अन्य संस्थाओं के साथ साथ शासन को भीकरनी चाहिए-

डॉ विश्वनाथ पाणिग्रही,पर्यावरणविद्‌

ऐसा दावा किया जा रहा है कि इस पक्षीघर के निर्माण से लोगों को पक्षियों के बारे में बहुत कुछ जानने का मौका मिलेगा. यहां कई प्रकार के पक्षियों का रहवास देखने को मिलेगा.

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