डीएसपी और प्रधान आरक्षक को सीबीआई ने किया गिरफ्तार, बंशी गुर्जर फर्जी एनकाउंटर मामले में हुआ एक्शन, मचा हड़कंप

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इंदौर : बंशी गुर्जर फर्जी एनकाउंटर के मामले में 16 साल के बाद बड़ा एक्शन हुआ है. सीबीआई दिल्ली की टीम ने मध्यप्रदेश के पन्ना में पदस्थ डीएसपी ग्लेडविन कार और नीमच में पदस्थ प्रधान आरक्षक नीरज प्रधान को गिरफ्तार किया है. दोनों को इंदौर में पूछताछ के लिए बुलाया गया था, वहीं से इन्हें गिरफ्तार किया. पूरा मामला 2009 का है.

फर्जी एनकाउंटर करने वाली टीम में करीब 20 पुलिस अधिकारी और कर्मचारी शामिल थे. जिनमें गिरफ्तार हुए डीएसपी और प्रधान आरक्षक भी शामिल थे. जांच के घेरे में तत्कालीन एसपी व रिटायर्ड आईजी वेदप्रकाश शर्मा भी हैं. इन दोनों पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया है. मामले से जुड़े कई लोग भूमिभूगत होने की भी खबर है.

एनकाउंटर में मारने का था दावा

नीमच में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक वेदप्रकाश शर्मा ने  सात फरवरी 2009 की रात रामपुरा थाना क्षेत्र के बेसला घाट पर कुख्यात तस्कर बंशी गुर्जर निवासी नलवा का एनकाउंटर का दावा किया था. एनकाउंटर करने वाली टीम पुरस्कृत भी हो गई थी. लेकिन वर्ष 2012 में तत्कालीन उज्जैन रेंज के आईजी उपेंद्र जैन को सूचना मिली कि जिस तस्कर को पुलिस ने एनकाउंटर में मारा था, वह जिंदा है. किसी अन्य को एनकाउंटर में मारा गया. इस पर टीम गठित कर पुलिस ने 20 दिसंबर 2012 को कुख्यात तस्कर बंशी गुर्जर को गिरफ्तार किया गया.

इससे यह साफ हो गया कि जिस व्यक्ति को एनकाउंटर में मारा गया था, वह निर्दोष था. पुलिस जांच ही चल रही थी कि मामला सीआईडी को सौंप दिया था. सीआईडी की धीमी जांच को लेकर उज्जैन के गोवर्धन पंडया और नीमच के पत्रकार मूलचंद खींची ने हाईकोर्ट इंदौर खंडपीठ पर जनहित याचिका लगाई और मामले की सीबीआई जांच की मांग की गई थी.

कोर्ट ने इस मामले की सीबीआई जांच के आदेश नवंबर 2014 में दे दिए थे.  11 साल के दौरान सीबीआई की टीम जांच कर रही थी. इस दौरान कई बार तत्कालीन एसपी से लेकर थाना प्रभारियों और अन्य पुलिसकर्मियों के बयान दर्ज हुए है, लेकिन ठोस सबूत के अभाव में दोषियों की गिरफ्तारी नहीं हो पाई थी.

चल रही है पूछताछ

मंगलवार को सीबीआई की टीम ने इस केस से जुडे हुए एक अफसर रैंक के डीएसपी ग्लेडविन कार और एक प्रधान आरक्षक नीरज प्रधान को गिरफ्तार किया. इंदौर के एडिशनल सीपी अमित सिंह ने दोनों के गिरफ्तारी की पुष्टि की है. दोनों को सीबीआई के रेस्ट हाउस में रखा गया है और लगातार पूछताछ जारी है.

ऐसे खुला था मामला

नीमच के जावरा-नयागांव फोरलेन पर भरभड़िया फंटे पर 26 मार्च 2011 को एक अज्ञात व्यक्ति का शव मिला था. मृतक की शिनाख्त राजस्थान के छोटी सादड़ी थाना क्षेत्र के मोतीपुरा निवासी कुख्यात तस्कर घनश्याम पिता मांगीलाल धाकड़ के रूप में हुई. परिजनों ने भी शव को घनश्याम का ही बताया था. बाद में घनश्याम के जिंदा होने की खबर पर पुलिस सकते में आ गई. तत्कालीन आईजी उपेंद्र जैन ने घनश्याम को पकड़ने के लिए टीम बनाई. 25 सितंबर 2012 को राजस्थान के कनेरा गांव से घनश्याम को गिरफ्तार कर लिया गया. उसने चौंकाने वाला खुलासा किया कि खुद को मृत घोषित करने का आइडिया बंसी गुर्जर ने दिया है. उसी ने बताया कि जिस बंसी को पुलिस सात फरवरी 2009 में मार गिराने का दावा कर रही है, असल में वह भी जिंदा है. यह सुनते ही महकमे में हड़कंप मच गया था.

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