जीवन दर्शन को लेकर आचार्य चाणक्य की दी गई सीख आज सैकड़ों सालों बाद भी लोगों को मार्गदर्शन दे रही है। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों से संबंधित श्लोक में बताया है कि यदि किसी सांप या दुष्ट व्यक्ति में से किसी एक को चुनना हो तो सांप का चुनाव करना ही बेहतर होता है। आचार्य चाणक्य के ‘चाणक्य नीति’ ग्रंथ में कुल 17 अध्याय हैं, जिसमें आचार्य ने सफलता पाने के मूलभूत मंत्रों का विस्तार से जिक्र किया है।
ऐसे लोगों से हमेशा बनाकर रखें दूरी
आचार्य चाणक्य ने अपनी कई नीतियों को दोस्त बनाते समय भी सावधानी बरतने की सलाह दी है। चाणक्य ने बताया है कि किस प्रकार से अपने दोस्तों का चयन करना चाहिए जो भविष्य में आपके लिए किसी भी प्रकार से खतरनाक साबित न हो। इस संबंध में आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक में उल्लेख किया है –
दुर्जनेषु च सर्पेषु वरं सर्पो न दुर्जनः।
सर्पो दंशति कालेन दुर्जनस्तु पदे-पदे ॥
श्लोक का अर्थ
आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक के माध्यम से बताया है कि दुष्ट और सांप में अंतर दिया जाए तो इन दोनों में सांप का चयन करना बेहतर होता हैं क्योंकि सांप एक बार ही डसता है, लेकिन एक दुष्ट व्यक्ति हमेशा धोखा देता है और हर पग-पग पर डसता रहता है।
दुष्ट व्यक्ति की संगति से हमेशा दूर रहें
आचार्य चाणक्य ने कहा है कि हर व्यक्ति को अपने दोस्त, सहयोगी का चुनाव करते समय उसके बारे में विस्तार से जानकारी हासिल कर लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि दुष्ट व्यक्ति की संगति पूरे जीवन को बरबाद कर देती है। दुष्ट व्यक्ति किसी बड़े संकट में फंसा सकता है। एक दुष्ट व्यक्ति की प्रवृत्ति में कभी भी किसी भी तरह से बदलाव नहीं हो सकता है। ऐसे लोगों की संगति से समाज में आपके चरित्र पर भी सवाल उठने लगते हैं।