फसल चक्र परिवर्तन से किसानों की आमदनी में होगा इजाफा

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रायपुर : राज्य में किसानों की आमदनी बढ़ाने और कृषि में लागत कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में धमतरी जिले में भूमि एवं जल संरक्षण के साथ-साथ किसानों की आय में वृद्धि के उद्देश्य से फसल चक्र परिवर्तन अभियान को गति दी जा रही है। जिला प्रशासन द्वारा कृषि विभाग एवं संबंधित विभागों के समन्वय से किसानों को ग्रीष्मकालीन धान के स्थान पर दलहनी, तिलहनी, लघु धान्य एवं मक्का जैसी कम जल की जरूरत वाली फसलों की खेती हेतु किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

धमतरी जिले में फसल चक्र परिवर्तन पर जोर

धमतरी जिले में करीब 1 लाख 58 हजार 180 कृषक हैं, जो कृषि व्यवस्था की रीढ़ हैं। जिले में मुख्य सिंचाई का साधन नहरें हैं। साथ ही करीब 30 हजार नलकूपों से भूमिगत जल का उपयोग भी किया जाता है। इससे जलस्तर में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। इस गंभीर स्थिति को ध्यान में रखते हुए प्रशासन द्वारा किसानों के बीच जल संरक्षण को बढ़ावा देने एवं फसल चक्र परिवर्तन को अपनाने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।
प्रत्येक विकासखण्ड में 10 गांव फसल चक्र परिवर्तन के लिए शामिल किया जाएगा

कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि धमतरी जिले के अधिकारियों एवं मैदानी अमलों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जिले के प्रत्येक विकासखंड के कम से कम 10 गांवों में शत-प्रतिशत फसल चक्र परिवर्तन के लिए किसानों  को प्रोत्साहित किया जाए। उन्होंने कहा कि धान के स्थान पर दलहनी, तिलहनी व मक्का फसलों की खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहन एवं सम्मान प्रदान किया जाएगा।

बीज का भण्डारण एवं वितरण समितियों के माध्यम से

इस पहल के अंतर्गत ग्राम पंचायतों से प्रस्ताव पारित कर फसल चक्र परिवर्तन को संधारित करने के निर्देश दिए गए हैं। कृषि विभाग को गांव-गांव में जागरूकता शिविर, ऋण एवं बीज वितरण शिविर आयोजित करने कहा गया है, ताकि किसान विभागीय योजनाओं की जानकारी लेकर लाभ उठा सकें। फसल चक्र परिवर्तन को प्रोत्साहन देने हेतु जिले की 39 प्राथमिक साख सहकारी समितियों में बीजों की पर्याप्त भण्डारण की व्यवस्था की गई है, जिनमें अब तक 32.10 क्विंटल गेहूं, 296.70 क्विंटल चना, 22.10 क्विंटल तिवड़ा तथा 52 क्विंटल सरसों के बीज उपलब्ध हैं। प्रशासन द्वारा किसानों से अपील की गई है कि वे अपने नजदीकी सहकारी समितियों एवं ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों से संपर्क कर मार्गदर्शन प्राप्त करें और कम जल मांग वाली फसलों की ओर अग्रसर होकर जल संरक्षण व समृद्धि की दिशा में योगदान दें।

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