राजभवन के खिलाफ कांग्रेस पार्टी 3 जनवरी को निकालेंगे महारैली
रायपुर| छत्तीसगढ़ में अब आरक्षण का मामला आधिकारिक तौर पर राजभवन बनाम कांग्रेस का रूप लेता जा रहा है। अब राजभवन के खिलाफ खुलकर कांग्रेस पार्टी विरोध प्रदर्शन के साथ आंदोलन करने की तैयारी में हैं। अब तक ऐसा कभी नहीं हुआ कि सत्ताधारी पार्टी ने ऐसा आंदोलन किया हो मगर आरक्षण संशोधन विधेयक अटका होने की वजह से ऐसे हालात बन रहे हैं।
सोमवार को कांग्रेस भवन में हुई बैठक से बाहर आकर खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एलान किया। उन्होंने राजभवन के अफसरों, विधिक सलाहकारों के प्रति साफ शब्दों में नाराजगी जाहिर की। तल्ख अंदाज में मीडिया से बात करते हुए सीएम ने पूछा कि राजभवन के विधिक सलाहकर विधानसभा से भी बड़े हो गए हैं क्या। दरअसल आरक्षण संशोधन विधेयक 2 दिसंबर से राज्यपाल के पास हस्ताक्षर के लिए अटका हुआ है। कुछ दिन पहले राजभवन की ओर से 10 सवाल भी सरकार से पूछे गए। इसको लेकर भी मुख्यमंत्री ने कहा- ये वैधानिक संस्थाओं को नीचा दिखाने की कोशिश हो रही है। राहुल जी भी कहते हैं कि संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने का काम हो रहा है। हमारे सभी अधिकारी इस बात के विरोध में थे कि फिर से जवाब देना है। ऐसी कोई संवैधानिक व्यवस्था ही नहीं है।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा- फिर भी मैंने राज्यपाल की जिद को ध्यान में रखकर प्रदेश की पौने तीन करोड़ जनता को आरक्षण का लाभ मिले ये सोचकर जवाब भेजे। राज्यपाल का इगो भी सैटिसफाई हो जाएगा। मगर अब राज्यपाल की ओर से कहा गया है कि परीक्षण करेंगे, कौन करेगा परीक्षण जो विधानसभा से बड़ा हो गया। हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट है परिक्षण के लिए, ये काम विधिक सलाहकार करेंगे ये तो दुर्भाग्य जनक है। इसलिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी में सभी नेताओं ने फैसला किया है कि 3 जनवरी को बड़ी रैली निकाली जाएगी।
कांग्रेस की बैठक के बाद मीडिया से चर्चा में आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने कहा- भारतीय जनता पार्टी हमेशा नफरत फैलाने का काम करती है। प्रदेश की राज्यपाल भी भाजपा के जाल में फंसी है। ये पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस का विरोध राज्यपाल के खिलाफ होगा, लखमा ने कहा कि नहीं ये प्रदर्शन भाजपा और RSS की विचारधारा के खिलाफ होगा। आरक्षण की जो परिस्थिति प्रदेश में बनी है उसकी जिम्मेदार भाजपा ही है। इसलिए 3 तारीख को बड़ा आंदोलन होगा। हम दिल्ली जाकर भी आंदोलन करेंगे।
ये है नए विधेयक में :- छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन विधेयक और शैक्षणिक संस्था (प्रवेश में आरक्षण) संशोधन विधेयक पारित हुआ है। इन दोनों विधेयकों में आदिवासी वर्ग-ST को 32%, अनुसूचित जाति-SC को 13% और अन्य पिछड़ा वर्ग-OBC को 27% आरक्षण का अनुपात तय हुआ है। सामान्य वर्ग के गरीबों को 4% आरक्षण देने का भी प्रस्ताव है। इसको मिलाकर छत्तीसगढ़ में 76% आरक्षण हो जाएगा। इस विधेयक पर अब तक राज्यपाल के हस्ताक्षर नहीं होने से प्रदेश में सियासी तनाव बढ़ गया है।