रायपुर| विधानसभा चुनाव से ठीक 7 महीने पहले कांग्रेस में बड़े बदलाव की चर्चा छिड़ गई है। दिल्ली में सीएम भूपेश, प्रियंका और राहुल गांधी की बैठक हुई जो करीब 15 मिनट तक चली। इसके बाद मुख्यमंत्री राहुल गांधी के निवास से रवाना हो गए हैं।प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, मंत्री टीएस सिंहदेव, ताम्रध्वज साहू और चरणदास महंत जब एक साथ दिल्ली में हों तब जाहिर है कि ऐसी चर्चाएं जरूर होंगी क्योंकि सत्ता और संगठन के बीच तालमेल में कमी और असहमतियों की बात कई दफे उभरकर सामने आ चुकी है।अब ऐसे में कहा जा रहा है कि प्रदेश कांग्रेस में बड़ा बदलाव कभी भी हो सकता है। आज आनन-फानन में बस्तर के सांसद दीपक बैज को दिल्ली बुलाना इस पूरी संभावना को पुख्ता कर रहा है।
प्रदेश में जहां सत्ता की कमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के हाथों में है तो वही संगठन मोहन मरकाम के हाथ है। साल 2018 में सरकार बनने के बाद जब तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री की कुर्सी सम्भाली तभी से नए अध्यक्ष की तलाश होने लगी। इसके लिए उस समय मनोज मंडावी, रामपुकार सिंह और अमरजीत भगत जैसे नेताओं के नाम सामने आये लेकिन मोहन मरकाम के सहज और सरल आदिवासी चेहरे ने बाजी मार ली। लोकसभा चुनाव के बाद 28 जून 2019 को मोहन मरकाम को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया।
यहां से शुरू हुआ असहमतियों का दौर
दो साल तक तो लगभग सब ठीक ही चलता रहा लेकिन इसके बाद गाहेबगाहे सीएम और पीसीसी अध्यक्ष के बीच मतभेद की भी खबरें आती रही। कई मामलों में असहमतियों की चर्चा भी आम हो गयी। जानकारों के मुताबिक जब संगठन में नए पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई तब सीएम भूपेश बघेल से मशविरा नहीं लिया गया।
कहा तो ये भी गया कि साल 2018 के चुनाव में पार्टी के खिलाफ काम करने वालों को भी संगठन में बड़ा पद दे दिया गया। वहीं निगम-मंडल में नियुक्तियों की जानकारी प्रदेश अध्यक्ष को नहीं दी गई। इसके अलावा सत्ता के कई फैसलों में भी संगठन की राय नहीं ली गई। इससे सत्ता और संगठन के बीच दूरियां बढ़ीं और अब ये दूरियां बदलाव में तब्दील हो सकती है।
सांसद दीपक बैज को दिल्ली बुलावा
बस्तर के बड़े आदिवासी चेहरों में से एक सांसद दीपक बैज को इस वक्त दिल्ली बुलाया गया है। दीपक बैज छत्तीसगढ़ के सबसे युवा विधायक रह चुके हैं। साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के दौरान जब कांग्रेस को 11 में से केवल दो सीटें ही मिली तब बस्तर की लोकसभा सीट से जीतकर दीपक बैज ने अपने कुशल प्रतिनिधित्व का लोहा मनवाया था।
दीपक बैज और अमरजीत क्यों ?
चुनाव से पहले बस्तर का प्रतिनिधित्व बरकरार रखने के लिए दीपक बैज को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है। बस्तर में विधानसभा की 12 सीटें हैं और सभी 12 सीटों में कांग्रेस के ही विधायक का काबिज हैं। अगर पार्टी मोहन मरकाम को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाती है तब बस्तर का प्रतिनिधित्व छिन जाने का नुकसान पार्टी को हो सकता है और इस सियासी नफा-नुकसान के गणित में दीपक बैज बिल्कुल फिट बैठते हैं।
बैज भी आदिवासी चेहरा हैं,चित्रकोट से विधायक रह चुके हैं और अभी बस्तर से सांसद हैं।सबसे बड़ी बात ये की साफ-सुथरी छवि वाले दीपक बैज से कोई विवाद भी जुड़ा नहीं है और सांसद को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दिये जाने से किसी तरह के विरोध का सामना भी पार्टी को नहीं करना होगा और बस्तर का सियासी समीकरण भी सध जाएगा।