साहस और सूझबूझ ने दी उम्र को मात, नन्हे वीरों ने जान की परवाह किए बगैर बचाई तालाब में डूबते दोस्त की जान

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रायपुर। साहस का अंदाजा उम्र से नहीं लगाया जा सकता। बड़े-बड़े धुरंधर भी परिस्थियों से हार मान जाते हैं, तो कभी मासूम से दिखने वाले बच्चे भी बड़ी विपदा से लड़ जाते हैं और जीत हासिल करते हैं। ऐसी ही कहानी है जिले के चचेरे भाइयों की। दो बालक, जिसमें से एक ने तो उम्र में अभी दहाई का आंकड़ा भी पार नहीं किया है, लेकिन तालाब में डूबते हुए बच्चे को बचाकर जीवक रक्षक की उपाधि प्राप्त कर ली है। ग्राम रामपुर (डंगनिया) चंपारण, जिला-रायपुर निवासी नौ वर्ष के प्रेमचंद साहू और 13 वर्ष के लोकेश साहू ने अपनी जान की परवाह किए बगैर तालाब में डूबते पुष्पेंद्र साहू को बचाकर वीरता का परिचय दिया। इन दोनों साहसी बच्चों को राज्य वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।

लोकेश कुमार साहू और प्रेमचंद साहू ने बताया कि पिछले वर्ष सात मार्च को वे गांव के तालाब में नहाने के लिए गए थे। गांव के अन्य दो बच्चे प्रियांशु साहू और पुष्पेंद्र साहू भी दोपहर लगभग 1.30 बजे तालाब में नहा रहे थे। खुदाई होने के कारण तालाब कहीं उथला है तो कहीं खाई जैसा गहरा है। इस दौरान अचानक पुष्पेंद्र साहू (9) पैर फिसलने के कारण गहरे हिस्से की तरफ चला गया और वह डूबने लगा। इसे देखकर प्रियांशु साहू जोर-जोर से आवाज करने लगा कि पुष्पेंद्र डूब रहा है..। आवाज सुनकर दोनों पानी में कूदे और पुष्पेंद्र को पकड़कर बाहर निकाला।

प्रेमचंद साहू ने बताया कि पुष्पेंद्र को तैरना नहीं आता था। इस कारण वह गहराई में चले जाने से डूब रहा था। पानी में पुष्पेंद्र के पास पहुंचने के बाद मैंने उसके कमर को पकड़कर और लोकेश ने उसके कंधे को पकड़कर तालाब के किनारे तक लेकर आए। डूबने के कारण पुष्पेंद्र के पेट में काफी पानी भर गया था और वह बेहोश होने लगा था। फिर दोनों ने मिलकर पुष्पेंद्र के पेट को दबाकर उसके शरीर से पानी बाहर निकाला। लगभग दो मिनट में स्थिति समान्य हुई तो पुष्पेंद्र उठ खड़ा हुआ। साहस और सूझबूझ का परिचय देने वाले प्रेमचंद साहू और लोकेश कुमार साहू को गणतंत्र दिवस के अवसर पर राज्य बाल वीरता पुरस्कर से सम्मानित किया जाएगा।

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