प्रदेश की बिगड़ती कानून व्यवस्था के कारण कलेक्टर भी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे : कांग्रेस

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रायपुर : प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने पत्रकारो से चर्चा करते हुये कहा कि प्रदेश की बिगड़ती कानून व्यवसथा के कारण कलेक्टर भी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे । कलेक्टर अपनी सुरक्षा और कानून व्यवस्था सुधारने के लिये एसपी को पत्र लिख रहे है। गृहमंत्री विजय शर्मा के गृह जिलें के कलेक्टर ने वहां के एसपी को 16 अगस्त को पत्र लिखकर अपने निवास की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने और शहर के देर रात तक असामाजिक तत्वों के घूमने पर चिंता व्यक्त किया है। यह हालात बेहद गंभीर है। कवर्धा कलेक्टर का यह पत्र राज्य की बिगड़ती कानून व्यवस्था का आईना है।

विष्णु भोग के कारण सीमेंट के दाम फिर 20 रू. बढ़ा

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि सीमेंट के दामों में एक बार फिर से 20 रू. की बढ़ोत्तरी हो गयी है। भाजपा सरकार के दो साल में सीमेंट के दाम में 6वीं बार बढ़ोत्तरी हो गयी है। सीमेंट के दामों में यह बढ़ोत्तरी विष्णु के भोग के कारण हुआ है। सीमेंट कंपनियों में उपयोग होने वाले कच्चा माल छत्तीसगढ़ का है बिजली यही की है में पावर यही का है उसके बावजूद प्रदेश की जनता को महंगी सीमेंट खरीदना पड़ रहा है इसकी मुख्य वजह भाजपा की चंदाखोरी है भाजपा पूंजीपतियों से चुनावी खर्च के लिए मोटी रकम चंदा वसूलती हैं और सत्ता मिलने के बाद पूंजीपतियों को गरीबों को लूटने की खुली छूट दे देती है।

लगातार ध्यानाकर्षण के बाद भी सरकार खाद की कमी पर गंभीर नहीं है

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि प्रदेश के किसान यूरिया और अन्य खाद के लिये परेशान है। यूरिया के बिना फसल खराब होना शुरू हो चुकी है। सोसायटियों में उर्वरक नहीं है। खुले बाजार में 266 की यूरिया 1000 रू. और 1350 की डीएपी 2000 रू. में बिक रही है। सरकार कालाबाजारियों पर कार्यवाही नहीं कर रही है। बार-बार किसान मांग कर रहे विपक्ष भी सरकार का ध्यानाकर्षण कर रही, लेकिन सरकार किसानों को यूरिया उपलब्ध करवाने के लिये कोई प्रयास नहीं कर रही है।

भाजपा सुप्रीम कोर्ट के फैसले को गलत प्रस्तुत कर रही

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि भाजपा जस्टिस रेड्डी का बहाना लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर डेढ़ दशक बाद सवाल खड़ा कर रही है, सलवा जुडूम के मामले में जस्टिस रेड्डी ने अकेले फैसला नहीं दिया था यह सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यी बेंच का फैसला था, जिसे न्यायमूर्ति रेड्डी के साथ न्यायमूर्ति एसएस निज्जर की संयुक्त बेंच ने सुनाया था। सलवा जुडूम आंदोलन के समय भाजपा की रमन सरकार ने बिना किसी प्रशिक्षण के ग्रामीणों को घातक हथियार बंदूकें, मशीनगन आदि थमा दिया था, जिसके कारण बस्तर में अराजकता के हालात बन गये थे, उस समय सरकार के इस निर्णय के खिलाफ कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर किया था। इस याचिका में अप्रशिक्षित ग्रामीणों को हथियार थमाने को गलत बताया गया था। फैसले में कहा कि सलवा जुडूम का गठन ‘‘स्थायी आधार पर पर्याप्त संख्या में और उचित रूप से सुसज्जित पेशेवर पुलिस बल रखकर नागरिकों को उचित सुरक्षा प्रदान करने की राज्य की संवैधानिक जिम्मेदारियों का परित्याग था, केवल राज्य को परिस्थितिवश हिंसा का प्रयोग करने का विशेष अधिकार है, राज्य अपनी इस शक्ति को किसी और को नहीं सौंप सकता।’’ सुप्रीम कोर्ट ने इसी के संबंध में फैसला दिया था कि ग्रामीणों को हथियार नहीं दिया जाना चाहिए।

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