नौकरी नहीं मिली तो नोट छापने लगे ग्रेजुएट युवा : एमपी से गुजरात तक फैलाया नेटवर्क; इंदौर की होटल से गिरफ्तार 

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इंदौर : मध्य प्रदेश के इंदौर में नकली नोट छापने की फैक्ट्री का खुलासा हुआ है। इंदौर क्राइम ब्रांच ने इस रैकेट से जुड़े 6 लोगों को गिरफ्तार किया है। होटल के कमरे से प्रिंटर, लेमिनेटर, कम्प्यूटर और लाखों के नकली नोट भी बरामद हुए हैं। आरोपियों ने मध्य प्रदेश और गुजरात सहित कई राज्यों तक नेटवर्क फैला रखा था।

क्राइम ब्रांच पुलिस के मुताबिक, बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे इन युवाओं ने जल्दी अमीर बनने की चाहत में अपराधिक गतिविधियों में शामिल हो गए। नकली नोट छापने का आइडिया इन्हें फिल्म ‘फर्जी से आया था।

पुलिस ने जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया है, उनमें 3 लोग छिंदवाड़ा, 2 भोपाल और एक गुजरात का रहने वाला है। छिंदवाड़ा निवासी अब्दुल शोएब उर्फ छोटू (25) आर्ट एंड डिजाइन से ग्रेजुएट है, लंबे समय से नौकरी की तलाश में थे। जॉब नहीं मिला तो ऑनलाइन फर्जी करेंसी से जुड़े ग्रुप्स खंगालने लगा।

छिंदवाड़ा के अब्दुल शोएब और द्वारका (गुजरात) के मयूर चम्पा (25) ऑनलाइन संपर्क में आए थे। अब्दुल डिजाइनिंग में एक्सपर्ट था। मयूर ने उसे हूबहू नोट तैयार करने वाला सॉफ्टवेयर सजेस्ट किया। बताया कि इसके जरिए वाटरमार्क, सीरियल नंबर और रंगों तक का मिलान संभव है।

सोशल मीडिया से जोड़े बेरोजगार साथी
शोएब ने छिंदवाड़ा के रहीश खान (32) और प्रफुल्ल कोरी (19) जैसे कुछ साथियों को जोड़ा और छोटे स्तर पर काम शुरू कर दिया। इसके बाद भोपाल के आकाश घारु (30) और मेडिकल स्टोर संचालक शंकर चौरसिया (42) से संपर्क हुआ। जो नकली नोटों की सप्लाई का काम संभालने लगे। गिरोह के सभी सदस्य फेसबुक के जरिए संपर्क में आए थे।

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