स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने दिया बड़ा बयान कहा, “इस बार मेरा चुनाव लड़ने का मन नहीं”

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रायपुर| स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव गुरुवार को अंबिकापुर के गांधी स्टेडियम में पत्रकारों से बातचीत करते हुए बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि इस बार मेरा चुनाव लड़ने का मन नहीं है। उन्होंने कहा कि अब तक जितने चुनाव हुए हैं, चाहे वो 2008 का रहा हो, 2013 या 2018 का, हर बार चुनाव में पूरे मन से खड़ा होता था। हमेशा मन में रहता था कि हां चुनाव लड़ना है, लेकिन इस बार सही में चुनाव लड़ने का उस तरह से मन नहीं है, जैसा कि पहले रहता था।

सिंहदेव के इस बयान से छत्तीसगढ़ की राजनीति में चर्चाएं शुरू हो गई हैं। वैसे तो एक हफ्ते पहले भी टीएस सिंहदेव ने सूरजपुर में सरगुजा विकास प्राधिकरण की बैठक खत्म होने के बाद कहा था कि वे चुनाव से पहले कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। उन्होंने कहा था कि ‘मैं चुनाव से पहले अपने भविष्य के बारे में फैसला लूंगा’। प्रदेश में मुख्यमंत्री के ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले को लेकर टीएस सिंहदेव नाराज बताए जा रहे हैं। सिंहदेव के पास राज्य पंचायत मंत्री का भी पद था, लेकिन इस साल उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि उन्होंने पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा हमेशा जाहिर की। कई मौकों पर टीएस सिंहदेव ने कहा कि कांग्रेस मेरे खून में है, मैं कभी कांग्रेस नहीं छोडूंगा।

टीएस सिंहदेव अंबिकापुर विधानसभा सीट से लगातार तीसरी बार विधायक बने हैं। 2013 में वो छत्तीसगढ़ में नेता प्रतिपक्ष थे। 2018 के विधानसभा चुनाव में टीएस सिंहदेव ने कांग्रेस का घोषणा पत्र तैयार किया था। इस घोषणा पत्र में सभी वर्गों का ध्यान रखा गया था। टीएस सिंहदेव के पिता मदनेश्वर शरण सिंहदेव भी मध्यप्रदेश शासन में चीफ सेक्रेटरी हुआ करते थे। सिंहदेव ने कहा कि, चुनाव के पहले आते तक मैं अपने भविष्य को लेकर निर्णय लूंगा। मैंने अभी इसके बारे में सोचा नहीं है। बाद में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए टीएस सिंहदेव ने कहा, भविष्य तो सबका अनिश्चित रहता है। आगे क्या निर्णय करना है, समय आने पर फैसला होता है। यहां मुख्यमंत्री की चर्चा होती रही है। वह तो है ही। मैंने हमेशा कहा है और भूपेश जी ने भी कहा है कि वह हाईकमान के ऊपर रहता है। वह जैसा निर्णय करे। हम या भूपेश या दूसरा-तीसरा कोई भी अपने से मुख्यमंत्री नहीं बनता, ना ही बन सकता है, किसी भी दल में। वह हमारी प्रक्रिया होती है। एक प्रोटोकॉल है उस नाते तय होता है कि मुख्यमंत्री किसे बनना है। यह एक अलग बात होगी। कभी-कभी कुछ बातें ऐसी होती हैं जो नहीं होनी चाहिए लेकिन हो जाती हैं।

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