मानदेय शिक्षकों ने संभाली कमान : डीएमएफ से 118 लेक्चरर, 109 शिक्षक और 243 सहायक शिक्षकों की हुई नियुक्ति

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कोरबा जिले के स्कूलों में अब पढ़ाई हो गई आसान

रायपुर : कोरबा जिले में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए जिला प्रशासन द्वारा अभिनव पहल की गई है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन और कलेक्टर श्री अजीत वसंत के निर्देशन में जिला खनिज न्यास (डीएमएफ) के माध्यम से शिक्षकों की कमी को दूर किया गया है। इस पहल से अब जिले के दूरस्थ एवं अंतिम छोर के गांवों के विद्यालयों में भी नियमित अध्यापन सुचारू रूप से हो रहा है। डीएमएफ से इस सत्र में कुल 470 शिक्षकों की नियुक्ति की गई है, जिसमें 118 लेक्चरर, 109 शिक्षक और 243 सहायक शिक्षक शामिल हैं। साथ ही, विद्यालयों में स्वच्छता एवं व्यवस्था बनाए रखने हेतु 310 भृत्यों की भी नियुक्ति की गई है। इससे पहले भी 477 शिक्षकों की नियुक्ति कर शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाया गया था।

पूर्व में पचरा, श्यांग, कटमोरगा जैसे सुदूर गांवों के विद्यालयों में शिक्षकों की कमी से विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित होती थी। अब इन विद्यालयों में प्रत्येक विषय के शिक्षक उपलब्ध हैं। शासकीय हाई स्कूल पचरा में अब कोई भी पीरियड खाली नहीं जाता। मानदेय शिक्षिकाएँ अभिलाषा सिंह तंवर और लक्ष्मी कुमारी बताती हैं कि उन्हें शिक्षण का अवसर मिलने से आत्मसंतोष के साथ आर्थिक स्थिरता भी मिली है। वहीं विद्यार्थी विद्या, सुहानी और मानमती का कहना है कि अब सभी विषयों की पढ़ाई नियमित रूप से होती है।

ग्राम कटमोरगा के प्राथमिक विद्यालय में मानदेय शिक्षिका विमला महंत की नियुक्ति से गांव के 43 विद्यार्थियों की पढ़ाई में निरंतरता आई है। श्यांग हायर सेकेंडरी विद्यालय की शिक्षिका शहनाज परवीन बताती हैं कि अब ग्रामीण क्षेत्र में ही रोजगार और सेवा का अवसर प्राप्त हुआ है। शिक्षकों की नियुक्ति में जिला प्रशासन ने विशेष पिछड़ी जनजातियों जैसे पहाड़ी कोरवा और बिरहोर समाज के योग्य अभ्यर्थियों को भी प्राथमिकता दी है, जिससे उन्हें शिक्षा क्षेत्र में सहभागिता और आर्थिक सशक्तिकरण का अवसर मिला है।

इस सत्र में डीएमएफ से नियुक्त अतिथि शिक्षकों के मानदेय में वृद्धि की गई है। हायर सेकेंडरी व्याख्याताओं को 15,000 रूपए, मिडिल स्कूल शिक्षकों को 13,000 रूपए, प्राथमिक शिक्षकों को 11,000 रूपए और भृत्यों को 8,500 रूपए मासिक मानदेय दिया जा रहा है। इस पहल से न केवल विद्यालयों में अध्यापन व्यवस्था बेहतर हुई है, बल्कि विद्यार्थियों को विषय ज्ञान, समय पर पाठ्यक्रम पूर्णता और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का लाभ भी मिल रहा है। कोरबा जिले में यह प्रयास शिक्षा के क्षेत्र में सशक्त, सर्वांगीण और समावेशी विकास की नई शुरुआत साबित हुआ है।

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