जल संरक्षण में बना अंतरराष्ट्रीय कीर्तिमान : कबीरधाम जिले ने रचा इतिहास, एक ही दिन में बनाए दो वर्ल्ड रिकॉर्ड

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गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ कबीरधाम जिले का नाम

रायपुर : छत्तीसगढ़ का कबीरधाम जिला जल संरक्षण में जनभागीदारी की मिसाल बन गया है। जिले में वर्षा जल संचयन को लेकर चलाए गए “मोर गांव-मोर पानी” महाअभियान के तहत एक ही दिन में दो वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाकर जिले ने देश-विदेश में अपनी अलग पहचान बनाई है। गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा जिले को सबसे अधिक सोख पिट निर्माण और एक दिन में सबसे अधिक लोगों द्वारा जल संरक्षण की शपथ लेने की उपलब्धि के लिए सम्मानित किया गया है।

कबीरधाम जिले में केवल 12 घंटे के भीतर जिले के 999 गांवों में 1,02,098 सोख पिट बनाए गए, वहीं 1,17,504 नागरिकों ने जल संरक्षण की शपथ लेकर पर्यावरण बचाने का संकल्प लिया। इस अभूतपूर्व सफलता के लिए गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के एशिया प्रमुख श्री मनीष विश्नोई स्वयं कवर्धा पहुंचे और कलेक्टर श्री गोपाल वर्मा तथा जिला पंचायत सीईओ श्री अजय कुमार त्रिपाठी को प्रोविजनल वर्ल्ड रिकॉर्ड प्रमाण पत्र सौंपा।

मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय और उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा के मार्गदर्शन में संचालित इस महाअभियान को वृहद जनसमर्थन मिला और यह उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल हुई है। जल संरक्षण को लेकर राज्य में व्यापक जन-जागरूकता अभियान और जलसंरक्षण के लिए सोख पिट का निर्माण किया जा रहा है। कलेक्टर श्री गोपाल वर्मा और सीईओ श्री त्रिपाठी के नेतृत्व में जलसंरक्षण का यह अभियान वास्तव में जन-जन का आंदोलन बन गया है।

कलेक्टर श्री गोपाल वर्मा का कहना है कि यह केवल प्रशासनिक सफलता नहीं, बल्कि जिले के हर नागरिक की सामूहिक चेतना और समर्पण का प्रतिफल है। इस अभियान में महिला स्व-सहायता समूहों, छात्रों, शिक्षकों, सामाजिक संगठनों, जनप्रतिनिधियों और मीडिया सभी ने उत्साहपूर्वक भागीदारी निभाई। उन्होंने इस उपलब्धि को जिले की जागरूक जनता को समर्पित करते हुए कहा कि यह उपलब्धि छत्तीसगढ़ राज्य को भी राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंच पर गौरवान्वित करती है।

जिला पंचायत सीईओ श्री अजय कुमार त्रिपाठी ने कहा कि यह अभियान महज एक कार्यक्रम नहीं बल्कि जल संरक्षण की दिशा में स्थायी जागरूकता का सूत्रपात है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में इस अभियान को सतत् रूप से आगे बढ़ाया जाएगा। कबीरधाम जिले की यह उपलब्धि न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है।

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