गो-संरक्षण एवं संवर्धन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश देश का अग्रणी राज्य : पशुपालन राज्य मंत्री श्री पटेल

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मध्यप्रदेश गो-संवर्धन बोर्ड और राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम की बैठक

भोपाल : पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार श्री लखन पटेल ने कहा है कि गो-संरक्षण एवं संवर्धन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश देश का अग्रणी राज्य बन गया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में इस दिशा में तेज गति से कार्य किया जा रहा है। मुख्यमंत्री दुधारू पशु योजना, कामधेनु निवास योजना, मुख्यमंत्री डेयरी प्लस कार्यक्रम, नस्ल सुधार कार्यक्रम के साथ ही विभिन्न केंद्रीय योजनाओं का प्रदेश में प्रभावी क्रियान्वयन किया जा रहा है। इन योजनाओं के माध्यम से प्रदेश में न केवल गो-वंश का समुचित पालन पोषण किया जा रहा है, अपितु दुग्ध उत्पादन में भी निरंतर वृद्धि हो रही है।

मंत्री श्री पटेल ने गुरुवार को मंत्रालय में मध्यप्रदेश गो-संवर्धन बोर्ड और राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम की बैठक लेकर विभागीय गतिविधियों की समीक्षा की एवं आवश्यक निर्देश दिए। बैठक में प्रमुख सचिव पशुपालन एवं डेयरी श्री उमाकांत उमराव, सचिव श्री सत्येंद्र सिंह, गो-संवर्धन बोर्ड के प्रबंध संचालक, राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम के प्रबंध संचालक सहित सभी संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

मंत्री श्री पटेल ने कहा के प्रदेश में स्वाबलंबी गो-शालाओं की स्थापना नीति पर तेज गति से कार्य किया जा रहा है। योजना के अंतर्गत प्रदेश में 28 स्थान चिन्हित किए गए हैं तथा 8 स्वयं सेवी संस्थाओं को भूमि भी आबंटित की जा चुकी है। योजना में 5000 एवं अधिक गोवंश के पालन पर शासन की ओर से 130 एकड़ तक भूमि आवंटित किए जाने का प्रावधान है। गो-शालाओं के लिए चारा भूसा अनुदान योजना के अंतर्गत इस वित्त वर्ष में विभिन्न गौशालाओं को 133.35 करोड़ रुपए दिए गए हैं। गत वर्ष इस योजना में 270.40 करोड़ रुपए गो-शालाओं को अनुदान के रूप में दिए गए थे। गो-शालाओं को चारा-भूसा के लिए दिए जाने वाली राशि में इस बार सरकार द्वारा दोगुनी वृद्धि की गई है। अब यह राशि प्रति पशु ₹40 प्रतिदिन हो गई है।

प्रदेश में गो संवर्धन बोर्ड के अंतर्गत 2942 गौशालाएं पंजीकृत है, जिसमें 2828 गो-शालाएं संचालित हैं। इन गो-शालाओं में 04 लाख 22 हजार गो-वंश का पालन पोषण किया जा रहा है। गत 1 वर्ष में प्रदेश में कुल 623 गो-शालाएं पंजीकृत हुई है, जिसमें 596 गौशालाएं मनरेगा योजना के अंतर्गत बनाई गई हैं तथा 27 का संचालन स्वयंसेवी संस्थाएं कर रही हैं। मंत्री श्री पटेल ने निर्देश दिए यह सुनिश्चित किया जाए कि गो-शालाओं में बिजली, पानी सहित गोवंश के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हों।

मंत्री श्री पटेल ने निर्देश दिए कि सभी गो-वंश की आवश्यक रूप से टैगिंग कराई जाए। गो-शालाओं में रहने वाले गो-वंश और निराश्रित गो-वंश दोनों की टैगिंग अलग-अलग रंग के टैग से करवाई जाए, जिससे उनकी पहचान आसानी से हो सके। उन्होंने गो-शालाओं की गायों का नियमित रूप भौतिक सत्यापन करने के निर्देश भी विभागीय अधिकारियों को दिए। मंत्री श्री पटेल ने बताया कि इस कार्य के लिए एक विशेष प्रकार का चिप डेवलप किया गया है, जिसके माध्यम से प्रत्येक गो-वंश की पूरी जानकारी आसानी से उपलब्ध हो जाएगी।

बैठक में बताया गया कि अति पिछड़े बैगा, सहरिया और भारिया जनजाति के पशुपालकों के लिए प्रदेश के 14 जिलों में मुख्यमंत्री दुधारु पशु योजना संचालित की जा रही है, जिसके अंतर्गत सरकार द्वारा 90% अनुदान पर प्रत्येक हितग्राही को दो-दो मुर्रा भैंस/ गाय प्रदान की जाती है। योजना में गत वित्त वर्ष में 660 के विरुद्ध 639 हितग्राहियों को लाभान्वित किया गया था, इस वित्त वर्ष में 483 को पशु प्रदान किए जाने का लक्ष्य है। मुख्यमंत्री डेयरी प्लस कार्यक्रम प्रदेश में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सीहोर, विदिशा तथा रायसेन जिलों में चलाया जा रहा है। केंद्र सरकार के राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत प्रदेश में कुल 1500 “मैत्री” की स्थापना के लिए 12 करोड़ 15 लख रुपए की राशि प्राप्त हुई है। योजना के अंतर्गत प्रशिक्षणार्थियों का चयन प्रक्रिया में है। प्रदेश में कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से पशु नस्ल सुधार के लिए निरंतर कार्य किया जा रहा है।

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