बीजापुर : छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के हथियार छोड़ समाज की मुख्य धारा में लौटने का सिलसिला जारी है. आलम यही रहा तो वह दिन दूर नहीं जब वाकई में डेडलाइन 31 मार्च 2026 तक भारत नक्सलवाद मुक्त हो जाएगा. नक्सलियों ने ताजा सरेंडर छत्तीसगढ़ के बीजापुर में किया है.
बिजापुर में नक्सलियों के DKSZC समेत राज्य समिति के तीन सदस्यों ने आत्मसमर्पण किया है. इनमें माओवादी संगठन की राज्य समिति के तीन बड़े सदस्य कुंकती वैकट्या उर्फ रमेश उर्फ विकास, मोमिलिडला वेकटराज उर्फ राजू उर्फ चंदू और तोडेम गंगा सोनू उर्फ सोनी शामिल हैं. इन सबने सीपीआई (माओवादी) पार्टी छोड़कर तेलंगाना पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया है. तीनों ने दशकों तक नक्सल संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई थी.
सरेंडर करने वाले नक्सलियों का जीवन परिचय
- कुंकती वैकट्या, दक्षिण बस्तर डिवीजन का डीवीसीएम और वरिष्ठ माओवादी नेता रहा है, जो पिछले 36 वर्षों से सक्रिय था.
2. मोमिलिडला वेकटराज, डीवीसीएम और एससीएम सदस्य रहा, जो 35 वर्षों से भूमिगत था.
3. तोडेम गंगा सोनू, एससीएम सदस्य और जनता सरकार प्रभारी, 21 वर्षों से माओवादी संगठन से जुड़ी थी.
तीनों वरिष्ठ माओवादी नेताओं ने संगठन की हिंसक विचारधारा से मोहभंग और मुख्यधारा में शामिल होकर सामान्य जीवन जीने की इच्छा जताई है. आत्मसमर्पण की यह बड़ी सफलता तेलंगाना और छत्तीसगढ़ पुलिस के सांझा अभियान और बढ़ते जन-विश्वास का परिणाम मानी जा रही है.
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के सरेंडर की नीति क्या है?
छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सलवाद से प्रभावित क्षेत्रों में शांति और विकास को बढ़ावा देने के लिए “नक्सलवादी आत्मसमर्पण पीड़ित राहत एवं पुनर्वास नीति 2025” लागू की है. इस नीति का उद्देश्य नक्सलियों को मुख्यधारा में शामिल करना और हिंसा से प्रभावित लोगों को सहायता प्रदान करना है.
नीति के प्रमुख प्रावधान
- सरकारी सेवा में नियुक्ति:यदि कोई आत्मसमर्पित नक्सली नक्सलियों के खिलाफ अभियान में पुलिस को विशेष सहयोग देता है और इसके कारण उसकी जान या संपत्ति को खतरा है, तो उसे पुलिस विभाग में आरक्षक या समकक्ष पद पर नियुक्त किया जाएगा. अन्य विभागों में नियुक्ति के लिए जिला स्तरीय समिति की अनुशंसा आवश्यक होगी.
- शिक्षा और छात्रावास सुविधाएं:आत्मसमर्पित नक्सलियों और उनके बच्चों को 18 वर्ष की आयु तक नि:शुल्क और प्राथमिकता आधारित शिक्षा शासकीय एवं आवासीय विद्यालयों में दी जाएगी.यदि वे निजी शिक्षण संस्थानों में पढ़ना चाहते हैं, तो उन्हें शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत आरक्षित सीट में प्रवेश और अनुदान राशि प्रदान की जाएगी. छात्रावास की सुविधा आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास विभाग द्वारा प्रदान की जाएगी.
- वित्तीय सहायता और भूमि प्रावधान:5 लाख रुपये या उससे अधिक के इनामी नक्सली के आत्मसमर्पण पर, पात्रता रखने पर नक्सली या उसके परिवार के किसी एक सदस्य को शासकीय सेवा में नियुक्ति दी जाएगी. यदि सेवा नहीं दी जा सकती, तो ऐसे आत्मसमर्पित को एकमुश्त 10 लाख रुपये की राशि सावधि जमा के रूप में दी जाएगी. यह राशि 3 वर्षों के अच्छे आचरण के बाद एकमुश्त हस्तांतरित की जाएगी.
नक्सलियों को आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित करने पर उनके स्वजन को भी 50 हजार रुपये की राशि दी जाएगी. नक्सली हिंसा में स्थायी विकलांगता के मामले में दिए जाने वाले मुआवजे की राशि को तीन लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दिया गया है.
नक्सली हिंसा में जान गंवाने के मामले में अगर परिवार के किसी सदस्य को सरकारी नौकरी नहीं दी जा सकी तो 15 लाख रुपये की सहायता दी जाएगी. पति, पत्नी और बच्चों को 10 लाख रुपये और माता-पिता को पांच लाख रुपये दिए जाएंगे.