भोपाल। बाघों की मौत से मध्य प्रदेश की देशभर में हुई किरकिरी के बाद अंतत: राज्य के कार्यवाहक वन्यप्राणी अभिरक्षक शुभरंजन सेन को हटा दिया गया है। तीन साल में केवल बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में ही 34 बाघों की मौत हो गई। वहीं अन्य नौ बाघों की मौत शहडोल क्षेत्र में हुई। इस तरह कुल 43 बाघों की मौतों पर एसआईटी ने एक रिपोर्ट तैयार की थी, लेकिन शुभरंजन सेन इस रिपोर्ट को छुपाते रहे और अधिकारियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की।
अंतरराष्ट्रीय गिरोह के सक्रिय होने का अंदेशा
रिपोर्ट में बाघों की मौत के पीछे अंतरराष्ट्रीय गिरोह के सक्रिय होने का अंदेशा जताया गया था। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय फंडिंग की भी बात कही गई थी और इस दिशा में जांच की अनुशंसा की गई, लेकिन शुभरंजन सेन ने इस दिशा में कोई निर्णय नहीं लिया। इतनी अधिक संख्या में बाघों की मौतों ने दिल्ली में बैठे अधिकारियों तक को चौका दिया।
एनटीसीए ने किया सरकार से जवाब-तलब
इस पूरे मामले में एनटीसीए (राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण) ने भी संज्ञान लिया और राज्य सरकार से जवाब-तलब किया। इसके चलते बाघों की सुरक्षा और वन्यप्राणी प्रबंधन में विफल रहे शुभरंजन सेन को हटाकर कार्ययोजना और वन भू-अभिलेख के पीसीसीएफ व्हीएन अम्बाडे को मप्र का वन्य प्राणी अभिरक्षक बनाया गया है। अम्बाडे महाराष्ट्र के नागपुर में वन उप महानिदेशक भी रह चुके हैं।