दंतेवाड़ा: छ्त्तीसगढ़ में नक्सलियों से लड़ने पुलिस ने ऑपरेशन मानसून चलाया है। जहां एक ओर नक्सलियों को बारिश में सुरक्षित ठिकाना नहीं मिल रहा वहीं उफनते नदी-नालों को पार कर जवान नक्सलियों के सुरक्षित ठिकानों तक पहुंच रहें हैं। जिससे नक्सलियों को भागने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
दंतेवाड़ा में डीआरजी जवानों के द्वारा नक्सलियों के सबसे सुरक्षित ठिकाना बैलाडिला के पहाड़ों के पीछे और मलगेर नाले के उस पार के गांव सुकमा, बीजापुर जिले के सरहदी इलाकों तक बारिश में डीआरजी जवान नक्सलियों के खिलाफ आपरेशन चला रहे हैं। वहीं जवानों के बढ़ते दबाव की वजह से नक्सली आत्म समर्पण भी कर रहें हैं। चार दिन पहले ही दंतेवाड़ा में दो नक्सली दंपत्ति ने आत्म समर्पण किया था। समर्पण करने वाले इनामी नक्सलियों ने इस बात का खुलासा किया था। जवानो के सर्च आपरेशन से नक्सली बैक फुट पर है। जिससे नक्सलियों को दंतेवाड़ा में सुरक्षित ठिकाना नहीं मिल रहा है।
बारिश के चार महीने नक्सली रहते है सुरक्षित ठिकानों में
बारिश के चार महीने नक्सली सुरक्षित ठिकानों में पनाह ले लेते हैं। इसकी मुख्य वजह है पहाड़ी नदी, नालों में पानी भर जाने से जंगल के रास्ते बंद हो जाते हैं। जिससे नक्सलियों को जवानों से घिर जाने का खतरा रहता है। पहले नक्सली दंतेवाड़ा में बैलाडिला के तराई वाले गांव, मलगेर नाले के पार के गांवों में बारिश में अपना ठिकाना बनाते थे। पर अब डीआरजी के बाहदुर जवान व इनके साथ महिला डीआरजी जवान कंधे से कंधा मिला कर बारिश में भी नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन चला रही हैं।
एडिशन एसपी आर के बर्मन का कहना है कि बारिश में भी लगातार ऑपरेशन चल रहे हैं। नक्सल क्षेत्रो में सर्च ऑपरेशन में बारिश में जवानों को नदी-नालों का भी जोखिम उठाना पड़ता है। ऑपरेशन मानसून से दंतेवाड़ा में नक्सली टिक नहीं पा रहें हैं।