सत्ता के संरक्षण में धान खरीदी घोटाला, हर संग्रहण केंद्र में हजारों क्विंटल धान की कमी : कांग्रेस

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सरकार बताए कि उपार्जन केंद्रों से गायब करवाए गए या खरीदी ही बोगस हुई?

रायपुर : प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने साय सरकार पर धान खरीदी को लेकर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि सत्ता के संरक्षण में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है जिसके चलते सहकारी सोसायटियों की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है। प्रदेश के सभी धान संग्रहण केंद्रों में खरीदी के कागज़ी आंकड़ों और वास्तविक खरीदी में जमीन आसमान का अंतर है। डिप्टी सीएम विजय शर्मा के गृह जिले कवर्धा के पंडरिया के केवल 3 संग्रहण केंद्रों की जांच में खरीदी के दावों से 3 करोड़ 36 लाख के धान कम पाए गए। रिपोर्ट के अनुसार को दवा गोडान में 8440 क्विंटल, सरइसेत में 497 क्विंटल और बघर्रा में 1906 क्विंटल धान की गड़बड़ी प्रमाणित हुई है। लगभग यही स्थिति प्रदेश के अन्य उपार्जन केंद्रों की भी है लेकिन यह सरकार अनियमितता और भ्रष्टाचार में सहभागी भाजपाईयों को बचाने जांच और कार्यवाही करने के बजाय परदेदारी कर रही है।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि जब से छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आयी है धान और किसान के नाम पर केवल ठगने का काम ही करते रहे हैं, पिछले करीब सीजन में भी 1037 करोड़ के 26 लाख क्विंटल धान की गड़बड़ी का भांडा फूटा था, जो आज तक जमा नहीं हुआ। इस खरीफ सीजन में फिर 13000 करोड़ से अधिक की गड़बड़ी और घोटाले की आशंका है। विष्णुदेव साय की सरकार के अपने ही दावों के अनुसार लगभग 40 लाख मैट्रिक टन धान प्रदेश के कुल उत्पादन से ज्यादा खरीदे गए हैं, इसका मतलब साफ है कि या तो खरीदी केवल कागजों में हुई है या बाहर के धान कमीशनखोरी के लालच में खपाए गए। कुल खरीदी का मिलान नहीं होना गंभीर अनियमितता है।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि पहले तो भाजपा की सरकार किसान हितैषी होने का ढोंग करती है और अब राज्य सरकार द्वारा उपार्जित धान से बने चावल को केंद्रीय पुल में लिमिट लगाकर प्रतिबंधित करने का विरोध भी नहीं कर पा रही है, उल्टे समिति स्तर पर नीलाम करने का फैसला लेकर सोसाइटियों को बर्बाद करने का षड्यंत्र रच रही है। भाजपा की सरकार में सोसाइटी और संग्रहण केंद्र भाजपा नेताओं का चारागाह बन गया है। सत्ता के संरक्षण में भ्रष्टाचार और अनियमिताएं चरम पर है जिसका नुकसान सोसाइटियों को उठाना पड़ रहा है। भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार के चलते आने वाले दिनों में सहकारी सोसाइटी डिफॉल्टर होकर बंद होने के कगार में पहुंच जायेगी।

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