राजनांदगांव। महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में नक्सली गतिविधियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में पुलिस को एक और बड़ी कामयाबी मिली है। पुलिस ने एक कट्टर नक्सली, शंकर उर्फ अरुण येरा मिच्छा को हैदराबाद से गिरफ्तार किया है। पुलिस के मुताबिक गिरफ्तार नक्सली पर नवंबर 2023 में एक निर्दोष व्यक्ति की हत्या का आरोप है, साथ ही वह कई पुलिस मुठभेड़ों में सक्रिय रूप से शामिल रहा है। महाराष्ट्र सरकार ने उसकी गिरफ्तारी पर 2 लाख रुपये का इनाम घोषित किया हुआ था।
शंकर उर्फ अरुण येरा मिच्छा, उम्र 25 वर्ष, मूल रूप से छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के भोपालपटनम तालुका के बांदेपारा गांव का निवासी है। पुलिस जांच से पता चला है कि वह सितंबर 2018 में माओवादी संगठन में शामिल हुआ था। शुरुआत में वह छत्तीसगढ़ के राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में स्थित मद्देड दलम का सदस्य बना और दिसंबर 2018 तक वहां सक्रिय रहा। उसके बाद उसका स्थानांतरण महाराष्ट्र के गढ़चिरौली संभाग में हो गया, जहां वह विभिन्न दलमों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा।
कई नक्सल घटनाओं में रहा शामिल
2018-2022 दिसंबर 2018 से 2022 तक वह डीवीसीएम (डिविजनल कमेटी मेंबर) शंकर अन्ना उर्फ असम उर्फ शिवा उर्फ शिव्या के अंगरक्षक के रूप में कार्यरत रहा। इस दौरान वह नक्सली संगठन की सुरक्षा और रणनीतिक गतिविधियों में शामिल था। 2022-2024, 2022 में उसका स्थानांतरण पेरामिली दलम में हुआ, जहां वह 2024 तक सदस्य के रूप में काम करता रहा। पेरामिली दलम गढ़चिरौली क्षेत्र में मा ओवादियों की प्रमुख इकाई रही है, जो सुरक्षा बलों पर हमलों और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुँचाने में सक्रिय रही।
2024 में विघटन के बाद छोड़ा संगठन
2024 में पेरामिली दलम के विघटन के बाद शंकर ने संगठन छोड़ दिया और घर लौट आया। सात-आठ महीनों तक वह छत्तीसगढ़ में खेती-बाड़ी का काम करता रहा, लेकिन बाद में वह आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले और फिर तेलंगाना के हैदराबाद में जाकर छिप गया। यहां वह सामान्य जीवन जीते हुए अपनी पहचान छिपा रहा था। गढ़चिरौली पुलिस को उसकी लोकेशन की गोपनीय सूचना मिली, जिसके आधार पर एक गुप्त अभियान चलाया गया।
हत्या समेत कई अपराधों था शामिल
साजेंट प्रशांत बोरसे और सी-60 कमांडो दस्ते के नेतृत्व में पुलिस टीम ने हैदराबाद में शंकर पर नजर रखी और 04 सितंबर 2025 को उसे गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद उसे गढ़चिरौली लाया गया, जहां आगे की जांच में उसकी हत्या और अन्य अपराधों में संलिप्तता साबित हुई। उसे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या), 147 (दंगा), 148 (हथियारबंद दंगा), 149 (सामूहिक दायित्व), 120(बी) (आपराधिक षड्यंत्र) और आर्म्स एक्ट की धारा 3 एवं 27 के तहत अहेरी पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया। गिरफ्तार होने के बाद शंकर को माननीय न्यायालय में पेश किया गया, जहां अदालत ने उसे चार दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया। पुलिस अब उससे संगठन के अन्य सदस्यों, हथियारों की लोकेशन और योजनाओं के बारे में पूछताछ कर रही है।
हत्या और मुठभेड़ें
शंकर का माओवादी जीवन अपराधों से भरा रहा है। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, वह चार प्रमुख मुठभेड़ों और एक हत्या में सीधे शामिल था-
2020: मौजा येदरमी जंगल क्षेत्र में पुलिस बल के साथ मुठभेड़। इस दौरान माओवादियों ने सुरक्षा बलों पर हमला किया, लेकिन पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में स्थिति संभाली।
2021: मौजा मडवेली जंगल क्षेत्र में पुलिस के साथ गोलीबारी। यह गढ़चिरौली के घने जंगलों में माओवादियों की रणनीति का हिस्सा था।
2023: मौजा वेदमपत्ली जंगल क्षेत्र में मुठभेड़, जिसमें कई माओवादी घायल हुए।
2024: मौजा चितवेली जंगल क्षेत्र में पुलिस के साथ हुई गोलीबारी। इन मुठभेड़ों में शंकर ने हथियार चलाए और भागने में सफल रहा था।
कई ग्रामीणों की हत्या में रहा शामिल
नवंबर 2023 में मौजा कपेवंचा में रामजी चित्रा आत्राम नामक एक निर्दोष ग्रामीण की हत्या। पुलिस जांच से पता चला कि यह हत्या माओवादियों की ‘जन अदालत’ का हिस्सा थी, जहां आत्राम को पुलिस मुखबिर होने के शक में मार दिया गया। शंकर इस हत्या में सक्रिय रूप से शामिल था, जिसके लिए उस पर मुख्य आरोपी का दर्जा है। ये अपराध गढ़चिरौली जैसे माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में आम हैं, जहां माओवादी सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं, सुरक्षा बलों पर हमले करते हैं और स्थानीय लोगों को डराते हैं। वे आगजनी, लूट और राष्ट्रविरोधी प्रचार में भी संलिप्त रहते हैं।
सरकारी इनाम
महाराष्ट्र सरकार ने शंकर की गिरफ्तारी पर 2 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था, जो पुलिस की इस सफलता के बाद वितरित किया जाएगा। यह इनाम माओवादियों के खिलाफ जनता को प्रोत्साहित करने का हिस्सा है। गढ़चिरौली पुलिस की बात करें तो, जनवरी 2022 से अब तक उन्होंने108 माओवादियों को गिरफ्तार किया है। हाल के वर्षों में मर्दिनटोला और पैड़ी जैसी मुठभेड़ों में कई माओवादियों को मार गिराया गया है, जिससे संगठन कमजोर हुआ है।