रायपुर। शासकीय विद्यालयों के नाम के साथ जुड़ने वाला ‘प्राथमिक शाला’ शब्द अब जल्द ही इतिहास बन जाएगा। यह नाम अब सुनाई भी देगा तो चुनिंदा स्थानों पर ही।युक्तियुक्तकरण के अंतर्गत एक ही कैंपस में संचालित होने वाले शासकीय विद्यालयों को आपस में मर्ज किया गया है। उदाहरणस्वरूप,यदि किसी भवन में प्राथमिक शाला, माध्यमिक शाला और उच्चतर-उच्चतम विद्यालयों का संचालन हो रहा था, तो अब इन्हें एक ही विद्यालय माना जाएगा। चूंकि स्कूलों को आपस में मर्ज कर दिया गया है, ऐसे में इनके नाम के आगे लगने वाले शब्द भी हट जाएंगे। विद्यालय में जो उच्चतम कक्षा होगी, उसका स्तर ही स्कूल के नाम के आगे जुड़ेगा। यदि किसी विद्यालय में पहली से बारहवीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है तो स्कूल के नाम में हायरसेकंडरी या उच्चतम शब्द जुड़ेगा।
इसी तरह दसवीं तक की पढ़ाई होने की स्थिति में हाईस्कूल या उच्चतर तथा आठवीं तक की पढ़ाई होने पर माध्यमिक शब्द जुड़ेगा। जिन विद्यालयों में केवल पांचवी कक्षा तक की पढ़ाई होगी, केवल वहीं प्राथमिक शाला शब्द अस्तित्व में रहेगा। राजधानी रायपुर सहित प्रदेश के अधिकतर जिलों में ऐसे स्कूल बहुत कम हैं, जहां केवल पांचवी कक्षा तक संचालन होता हो। सामान्यतः विद्यालयों में आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है। ऐसे में प्राथमिक शाला अब इतिहास बनता जाएगा।
यूडायस कोड भी बड़ी कक्षाओं का.
विद्यालयों को मर्ज किए जाने के बाद उनका यूडायस कोड भी एक ही हो जाएगा। यदि किसी कैंपस में प्राथमिक, माध्यमिक और हाईस्कूल-हायर सेकंडरी स्कूलों का संचालन हो रहा है और उन्हें आपस में मर्ज किया गया है तो हायर सेकंडरी स्कूल के डायस कोड को ही मान्य माना जाएगा। अंदरुनी सूत्रों के अनुसार, मर्ज हुए विद्यालयों के नाम परिवर्तन व नवीन यूडायस कोड संबंधित बदलाव की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। नवीन शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने के पूर्व आधिकारिक रिकॉर्ड भी अपडेट कर दिए जाएंगे।
अंकसूची में भी नया नाम
ना केवल विद्यालय की नाम पट्टिका बल्कि विद्यार्थियों की अंकसूची से लेकर समस्त शासकीय दस्तावेजों में भी नाम परिवर्तन होगा। वर्तमान में स्कूलों के समक्ष लगी नाम पट्टिका में पुराने नाम ही दर्ज हैं। रिकॉर्ड परिवर्तन होने के बाद नवीन यूडायस कोड सहित नाम परिवर्तन कर नवीन पट्टिका लगाई जाएगी।