रायपुर। पंडित रविशंकर शुक्ल विवि शुक्रवार को परीक्षा कक्ष का ताला खोलना ही भूल बैठा। सुबह 8 बजे से जो परीक्षा प्रारंभ होनी थी, वो 8 बजकर 20 मिनट पर शुरू हो सकी। चूंकि परीक्षा 20 मिनट विलंब से प्रारंभ हुई, इसलिए छात्रों को 20 मिनट का अतिरिक्त समय भी दिया गया। मामला बीए एलएलबी का है। बीए एलएलबी के चतुर्थ वर्ष आठवें सेमेस्टर की परीक्षा शुक्रवार को आयोजित थी। इसके लिए रविवि के कला भवन के दूसरे माले में केंद्र बनाया गया था।
सेमेस्टर परीक्षा का समय प्रातः 8 बजे से 11 बजे तक निर्धारित थी। चूंकि 8 बजे छात्रों को पर्चे बांटे जाने थे, ऐसे में परीक्षार्थी सुबह 7.30 बजे ही केंद्र पहुंच गए थे। यहां पहुंचकर छात्रों ने देखा कि परीक्षा कक्ष में ताला लटका हुआ है। इसके बाद छात्रों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। लगभग आधे घंटे इंतजार के बाद ताला खुला। 5 मिनट का समय छात्रों को बिठाने, उत्तर पुस्तिका बांटने तथा एंट्री संबंधित कार्यों में लगा। इसके बाद 8 बजकर 20 मिनट से परीक्षा शुरू हुई।
परेशान होते रहे छात्र
छात्र लगभग एक घंटे तक बाहर ही खड़े रहे। कई छात्र बार-बार टाइम-टेबल देखते रहे कि कहीं वे गलत तिथि पर तो परीक्षा दिलाने नहीं पहुंच गए हैं। ना केवल परीक्षा के पहले बल्कि परीक्षा के बाद भी छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ा। जिन विद्यार्थियों के अभिभावक उन्हें लेने पहुंचे थे, उन्हें केंद्र पर आधे घंटे तक इंतजार करना पड़ा। प्रबंधन के मुताबिक, जिस कर्मचारी के पास उक्त कक्ष की चाबी थी, उसकी बाइक खराब होने के कारण वह तय वक्त पर नहीं पहुंच सका। यही कारण है कि विलंब हुआ।
पहले 7 बजे होनी थी परीक्षा
जो रविवि प्रबंधन 8 बजे भी परीक्षा कक्ष का ताला नहीं खोल पा रहा है, वो पहले सुबह 7 बजे से परीक्षा लेने वाला था। रविवि द्वारा पूर्व में सेमेस्टर परीक्षा का समय प्रातः 7 से 10 बजे निर्धारित किया गया था। इस स्थिति में छात्रों को प्रातः 6.30 बजे केंद पहुंचना पड़ता, ताकि वे जांच सहित प्रक्रिया पूर्ण कर सकें। कई छात्र दूरस्थ क्षेत्रों से आते हैं। ऐसे में टाइमिंग को लेकर छात्रों ने कई चरणों में विरोध-प्रदर्शन किया था। बाद में रविवि प्रबंधन द्वारा समय परिवर्तन कर प्रातः 8 से 11 बजे तक परीक्षा लेने का निर्णय लिया गया था।
छात्रों का नुकसान नहीं : राजीव चौधरी
रविवि के मीडिया प्रभारी, प्रो. राजीव चौधरी ने कहा है कि, जितने विलंब से प्रश्नपत्र बांटे गए, छात्रों को उतना अतिरिक्त वक्त दिया गया। किसी भी छात्र का नुकसान नहीं हुआ है।