हसदेव अरण्य क्षेत्र में खनन परियोजनाओं के खिलाफ आया सरपंच संघ, कहा-खदानों की अनुमति निरस्त करे सरकार

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०० सरगुजा जिले के उदयपुर ब्लॉक के 19-20 गांवों के सरपंच पहुंचे हरिहरपुर

रायपुर| छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य क्षेत्र में खनन परियोजनाओं के खिलाफ चल रही लड़ाई में सरपंच संघ भी कूद गया है। रविवार को कोरबा जिले के पोड़ी उपरोड़ा और सरगुजा जिले के उदयपुर ब्लॉक के 19-20 गांवों के सरपंच हरिहरपुर पहुंचे। वहां पिछले तीन महीनों से धरना दे रहे ग्रामीणाें से मुलाकात के बाद उन्होंने आंदोलन में साथ देने की घोषणा कर दी है।

 

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बरसात के बीच धरना स्थल पर बने झोपड़ीनुमा पांडाल में आंदोलनकारी जमे रहे। वहां पहुंचे पोड़ी-उपरोड़ा सरपंच संघ के अध्यक्ष सोहन सिंह श्याम ने कहा कि यह पीढ़ियों के जल, जंगल ,जमीन को बचाने की लड़ाई है। वनाधिकार मान्यता कानून के तहत पात्र लोगों के अधिकार पत्र तो बन नहीं पाते, लेकिन कंपनियों को फर्जी कार्रवाईयों के आधार पर पूरा जंगल जमीन सौंप दिया जाता है। बाद में सरपंचों ने संयुक्त रूप से मुख्यमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन भेजा है। इसमें हसदेव अरण्य क्षेत्र में ग्राम सभाओं के निर्णय का पालन कर कोल ब्लॉक को जारी वन स्वीकृति एवं भूमि अधिग्रहण को निरस्त करने की मांग की गई।

 

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सरपंच संघ ने परसा कोल ब्लॉक के लिए ग्राम सभा का फर्जी प्रस्ताव तैयार करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों पर भी कार्रवाई की मांग की है। इस ज्ञापन पर घाटबर्रा, साल्ही, बंजारी, पतुरियाडांड, रिंगनिया, मानिकपुर, गुरसियां, सरभाेका, मुडगांव, पलका, पचरा, सलवा, ललाती, बासेन, एतमानगर, जामडीह, मतनाही, धजाक आदि ग्राम पंचायतों के सरपंचों ने हस्ताक्षर किए हैं। ज्ञात हो कि हसदेव अरण्य के इसी इलाके में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को चार कोयला खदानें आवंटित है। एक में खनन 2012 से चल रहा है। इसका विस्तार होना है। वहीं एक को अंतिम वन स्वीकृति मिल चुकी है। इसके लिए 841 हेक्टेयर जंगल को काटा जाना है। वहीं दो गांवों को विस्थापित भी किया जाना है। स्थानीय ग्रामीण इसका विरोध कर रहे हैं। 26 अप्रैल की रात प्रशासन ने चुपके से सैकड़ों पेड़ कटवा दिए। उसके बाद आंदोलन पूरे प्रदेश में फैल गया। वहां की ग्राम सभाएं परियोजना के विरोध में लगातार प्रस्ताव पारित कर रही हैं, लेकिन सरकार चुप है।

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