स्कूलों में दीनदयाल, श्यामा प्रसाद की जीवनी पढ़ाना आपत्तिजनक : कांग्रेस

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भाजपा बताये आजादी की लड़ाई में दीनदयाल उपाध्याय का क्या योगदान था?

श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने तो भारत छोड़ो आंदोलन और आजाद हिंद फौज का विरोध किया था

रायपुर : भाजपा सरकार स्कूलों में श्यामा प्रसाद मुखर्जी, अटल बिहारी बाजपेयी, दीनदयाल उपाध्याय की जीवनी पढ़ाने जा रही है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी और दीनदयाल उपाध्याय का देश की आजादी की लड़ाई में क्या योगदान था? कितने आंदोलन में भाग लिये? आजादी की लड़ाई में कब जेल गये? आजाद भारत के नवनिर्माण में उनका क्या योगदान था? वे भाजपा के पितृ पुरूष हो सकते है, उनकी जीवनी स्कूलों में क्यों पढ़ाया जायेगा? दल विशेष का नेता होना उस दल के लिए उपलब्धि हो सकती है लेकिन देश के लिए उनका क्या योगदान था यह भी बताना चाहिए।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा के पितृ संगठन आरएसएस के मूलस्वरूप हिन्दू महासभा का गठन 1925 में हुआ, देश आजाद 1947 में हुआ इन 22 सालों तक भारत के आजादी की लड़ाई में हिन्दू महासभा का क्या योगदान था? भाजपाई बता नहीं सकते। 1947 में जब देश आजाद हुआ तब दीनदयाल उपाध्याय 32 वर्ष के परिपक्व नौजवान थे, देश की आजादी की लड़ाई में उनका क्या योगदान था? कितनी बार जेल गये? श्यामा प्रसाद मुखर्जी अंग्रेजों की कृपा से 1938 में कलकत्ता यूनिवर्सिटी के कुलपति बनाये गये।

1942 में कांग्रेस महात्मा गांधी की अगुवाई में भारत छोड़ो आंदोलन चला रही थी, तब भाजपा के पितृ पुरुष श्यामा प्रसाद मुखर्जी अंग्रेजी हूकूमत को सलाह दे रहे थे कि भारत छोड़ो आंदोलन को क्रूरतापूर्वक दमन किया जाना चाहिये। श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने आजादी के लड़ाई के दौरान नेताजी सुभाष चंद्र बोस के द्वारा गठन किये गये आजाद हिंद फौज के खिलाफ अंग्रेजी सेना में भर्ती होने के लिए देश के युवाओं से अपील किया था। आजादी के पूर्व अंग्रेजों के इशारे पर मुस्लिम लीग के साथ मिलकर बंगाल में अंतरिम सरकार बनाये। अंग्रेजों के फूट डालो और राज करो की नीति पर अमल करने वाले षड़यंत्रकारी यही लोग थे। ऐसे लोगों की जीवनी बच्चों को पढ़ा कर बच्चों में क्या संस्कार डालना चाहती है भाजपा।

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