रायपुर : पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पत्रकारों से चर्चा करते हुये कहा कि सरकार नहीं चाहती किसान, धान की पूरी पैदावार ले सके। इसीलिये पूरे प्रदेश में उर्वरकों विशेषकर डीएपी, एनपीके का संकट पैदा किया जा रहा, किसानों को बीज नहीं उपलब्ध करवाया जा रहा, सरकार की मंशा धान के रकबे को कम करना है ताकि समर्थन मूल्य पर कम धान खरीदना पड़े। यहां की जलवायु और मिट्टी धान के फसल के अनुकुल है। खरीफ का धान हमारे किसानों की प्रमुख उपज है। इसमें व्यवधान राज्य के किसानों के लिये घातक है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि सरकार दूसरी फसलों को बढ़ावा दे, लेकिन किसानों का नुकसान कर के ऐसा किया जायेगा तो ठीक नहीं है। किसानों को नुकसान पहुंचा कर नहीं लाभ देकर दूसरी फसलों की ओर प्रेरित किया जाये। हमारी सरकार थी तब हमने राजीव गांधी किसान न्याय योजना में धान के किसानों को 9000 रू. प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि देते थे। दूसरे फसल लेने वालो को 10000 रू. प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि देते थे। किसानों का नुकसान नहीं होना चाहिये।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि मानसून की दस्तक शुरु हो गयी है। खरीफ की बुवाई खाद और बीज की कमी के कारण प्रभावित हो रहा है, भारतीय जनता पार्टी की डबल इंजन की सरकार छत्तीसगढ़ के अन्नदाता किसानों की समस्या का कोई ख्याल नहीं है। मानसून बस्तर आ चुका है, पूरे प्रदेश में खरीफ फसल के बुवाई की तैयारी युद्ध स्तर पर चल रही है, खुर्रा वाले किसान प्रक्रिया शुरू कर चुके हैं, लेकिन प्रदेश में खाद और बीज की समुचित व्यवस्था यह सरकार नहीं कर पाई है। प्रदेश के ज्यादातर सोसाइटी में किसानों को डीएपी की कमी से जूझना पड़ रहा है, ज्यादातर स्थानों पर बोनी और थरहा के लिए बीज भी किसानों को नहीं मिल पा रहा है, जिसके चलते किसान परेशान हैं। पर्याप्त मात्रा में डीएपी खाद की उपलब्धता नहीं होने से किसान परेशान हैं। पहले कहा गया डीएपी के बदले एन.पी.के दिया जायेगा, अब एन.पी.के की कमी हो गयी है।