रायपुर : पहले नए सेटअप के नाम पर स्कूलों में शिक्षकों के पदों की न्यूनतम संख्या में कटौती की, अव्यवहारिक युक्तियुक्तकरण थोपा गया और अब तक छात्रो के लिये किताबों की व्यवस्था तक नहीं कर पाने को सरकार का शिक्षा विरोधी षडयंत्र करार देते हुए प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा है कि भाजपा सरकार नहीं चाहती है कि सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षा मिले, भाजपा सरकार नहीं चाहती कि छत्तीसगढ़ के गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चों को निः शुल्क गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध हो इसी लिए यह सरकार सरकारी तौर पर शिक्षाव्यवस्था को ध्वस्त करने लगातार तुगलकी फरमान जारी कर रही है। स्कूल खुले 15 दिन से अधिक का समय हो चुका है लेकिन अब तक पाठ्य पुस्तक स्कैन करने का काम ही नहीं हो पाया है शिक्षक शिक्षिकाएं पठन-पाठन का काम छोड़कर स्कैन करने में पोर्टल में आ रही दिक्कतों से जूझ रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा है कि सरकार की दुर्भावना के चलते सैकड़ों सरकारी स्कूलों में तालाबंदी की नौबत आ गई है। प्रदेश में हर माह सैकड़ो की संख्या में शिक्षक सेवानिवृत हो रहे लेकिन पिछले डेढ़ साल में नियमित शिक्षक के एक भी पद पर नियुक्ति नहीं कर पाई है यह सरकार। बस्तर, सरगुजा संभाग के स्कूलों की स्थिति को सर्वविदित है अब तो क्षेत्रों में भी स्कूल बदहाल होने लगे। शिक्षकों की कमी और विषय व्याख्याता के पद रिक्त होने को लेकर राजधानी के आसपास के स्कूलों के पालक और छात्र आंदोलित हैं। मचान्दुर, टेमरी, खाती, बिलाड़ी, कोरासी धरसीवां, तिल्दा, बेमेतरा, साजा, रायपुर, बिलासपुर सहित लगभग पूरे प्रदेश में शिक्षकों की कमी है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा है नए सेटअप और युक्तिकरण के नाम पर यह सरकार शिक्षकों का भयादोहन कर रही है। जहां पहले से ही शिक्षक कम है वहां से भी शिक्षकों को जबरिया हटाया जा रहा है। पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता और नैसर्गिक न्याय का अभाव है। न्यायालय के आदेश पर भी आंख मूंदकर बैठे हैं। सुनवाई के नाम पर प्रभावित शिक्षकों से कोरे कागज पर हस्ताक्षर लेकर मनमानी थोप रहे हैं। सत्ता के संरक्षण में शिक्षा विभाग के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों के द्वारा अघोषित तौर पर तबादला उद्योग चलाया जा रहा है। नए शिक्षण सत्र शुरू हो चुका है, लेकिन छात्रों तक न किताब पहुंचा है न गणवेश, सरकार का फोकस शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने में बिल्कुल भी नहीं है।