सुकमा। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले की शिक्षक विहीन शालाओं में युक्तियुक्तकरण से शिक्षा में नई रोशनी आई है। मुख्यमंत्री शाला गुणवत्ता कार्यक्रम के तहत छत्तीसगढ़ शासन ने शासकीय शालाओं में गुणकतापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की दिशा में प्रभावी कदम उठाते हुए युक्तियुक्तकरण की नीति को प्रभावशाली रूप से लागू किया गया है। इस नीति के तहत शिक्षक संसाधनों के समुचित वितरण और पुनर्विन्यास से जिले की कई वर्षों से लंबित समस्याओं का समाधान किया गया है।
युक्तियुक्तकरण से पहले सुकमा जिले में कुल 29 प्राथमिक शालाएं और 2 पूर्व माध्यमिक शालाएं ऐसी थीं, जहां किसी भी शिक्षक की पदस्थापना नहीं थी। इन शालाओं के विद्यार्थियों को नियमित और गुणवतापूर्ण शिक्षा से वंचित रहना पड़ता था। ग्रामीणों की निरंतर मांग और प्रशासनिक सतर्कता के फलस्वरूप, युक्तियुक्तकरण नीति के तहत इन सभी स्कूलों में अब एक या दो शिक्षकों की स्थायी रूप से पदस्थापना कर दी गई है।
अनेक गांव हुए लाभान्वित
इस पहल से जिले के अनेक ऐसे ग्राम लाभान्वित हुए हैं, जो लंबे समय से शिक्षा के मूलभूत अधिकार से वंचित थे। इस व्यवस्था के अंतर्गत शालाओं में शिक्षकों की पूर्ति की गई, साथ ही यह भी सुनिश्चित किया गया कि, नए सत्र की शुरुआत से ही छात्र-छात्राएं नियमित रूप से शिक्षकों के मार्गदर्शन में अध्ययन कर सकें।
बच्चों को शिक्षा के लिए नहीं जाना पड़ेगा ट्रर
ग्रामवासियों ने शासन और जिला प्रशासन की इस पहल का स्वागत करते हुए संतोष जताया है। अब अभिभावकों को अपने बच्चों की शिक्षा के लिए टूर के विद्यालयों की ओर नहीं देखना पड़ेगा। शिक्षक अब नवीन पदस्थापन शालाओं में पहुंचकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं और बच्चों को नियमित शिक्षा दे रहे हैं।
शिक्षा की गुणकत्ता में होगा सुधार
शिक्षकों की पदस्थापना से जहां एक ओर बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अवसर मिलेगा। वहीं दूसरी ओर विद्यालयों की शैक्षणिक गतिविधियों में भी सुधार आएगा। शासन की यह पहल स्कूल चलें हम अभियान और सर्व शिक्षा अभियान को भी मजबूती प्रदान करेगी।