रायपुर : राजधानी रायपुर के प्रेस क्लब में रविवार को दिल्ली से लौटे बस्तर के नक्सल पीड़ितों ने प्रेसवार्ता कर अपनी पीड़ा रखी और सांसदों से गुहार लगाई कि उपराष्ट्रपति पद के प्रत्याशी बी. सुदर्शन रेड्डी को समर्थन न दिया जाए. नक्सल पीड़ितों का कहना है कि रेड्डी वही व्यक्ति हैं जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जज रहते हुए ‘सलवा जुडूम’ पर प्रतिबंध लगाया था.
दिल्ली से लौटे नक्सल हिंसा के पीड़ितों ने बयां किया दर्द
नक्सल पीड़ितों ने अपना दर्द बयां किया. बस्तर शांति समिति के सदस्य जयराम दास ने बताया कि पिछले 4 दशक में हजारों आदिवासी और पुलिसकर्मियों की हत्या हुई है. जब बस्तर की आम जनता ने नक्सलवाद के खिलाफ सलवा जुडूम आंदोलन शुरू किया, तो कुछ लोगों ने इस आवाज को दबाने का प्रयास किया.
आज भी झेल रहे नक्सलियों का दर्द
बस्तर शांति समिति के बैनर तले हुई इस वार्ता में पीड़ितों ने बताया कि सलवा जुडूम की वजह से नक्सली संगठन कमजोर पड़ चुका था और खत्म होने की कगार पर था, लेकिन प्रतिबंध लगने के बाद माओवादी फिर से सक्रिय हो गए और उनका आतंक आज भी लोगों को झेलना पड़ रहा है.पीड़ितों ने कहा कि सलवा जुडूम पर रोक लगाने से पहले यह नहीं देखा गया कि बस्तर के लोग किन हालात में जी रहे हैं और इस फैसले का उनके जीवन पर क्या असर पड़ेगा.
उन्होंने सवाल उठाया कि बस्तर की आवाज सुने बिना, बाहर के लोग उनके भविष्य का फैसला कैसे ले सकते हैं।पीड़ितों ने सांसदों से अपील की कि वे रेड्डी की उम्मीदवारी का विरोध करें और आम लोगों से भी उनके इस अभियान का समर्थन करने की मांग की.