भोपाल : मध्य प्रदेश में तबादला नीति जारी हो गई है. 29 अप्रैल को मोहन कैबिनेट मीटिंग में तबादला नीति को मंजूरी मिली थी. जिसके 4 दिन बाद शनिवार और रविवार रात में सरकार ने तबादला नीति जारी कर दी है. नई नीति के लागू होने से अब पिछले वित्तीय वर्ष में कमजोर प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों को बदला पहले बदला जा सकेगा. अब 3 साल तक ट्रांसफर ना करने की अनिवार्य नहीं है.
60 हजार से ज्यादा हो सकते हैं ट्रांसफर
मध्य प्रदेश में 6 लाख 6 हजार नियमित कर्मचारी और अधिकारी हैं. नई तबादला नीति के लागू होने के बाद 10% का तबादला होना तय माना जा रहा है. ऐसे में 30 मई तक 60 हजार से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारियों के तबादले हो सकते हैं.
डीएसपी और इसके ऊपर की रैंक के लिए सीएम का अनुमोदन जरूरी
नई तबादला नीति के मुताबिक डीएसपी (उप पुलिस अधीक्षक) से नीचे के अधिकारी और कर्मचारियों के तबादले गृह विभाग द्वारा गठित पुलिस स्थापना बोर्ड के आधार पर होंगे. जबकि जिले में पोस्टिंग के लिए दबादला बोर्ड द्वारा फैसला लिया जाएगा. प्रभारी मंत्री के परामर्श के बाद पुलिस अधीक्षक पोस्टिंग करेंगे. वहीं डीएसपी (उप पुलिस अधीक्षक) या उससे सीनियर अधिकारी के लिए स्थानांतरण पुलिस स्थापना बोर्ड के दिशा-निर्देशों के अनुसार विभागीय मंत्री और मुख्यमंत्री के अनुमोदन पर किए जाएंगे.
इन कर्मचारियों और अधिकारों को मिलेगी छूट
जिन कर्मचारियों और अधिकारियों का कार्यकाल एक साल या उससे कम है, उनका ट्रांसफर नहीं किया जाएगा. अगर पति-पत्नी एक साथ ट्रांसफर का आवेदन देते हैं तो उनका ट्रांसफर किया जा सकेगा, लेकिन नियुक्ति की जगह प्रशासनिक जरूरत के आधार पर तय होगी.
वहीं जो कर्मचारी गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं, अगर ट्रांसफर वाली जगह पर मेडिकल सुविधाएं नहीं हैं तो मेडिकल बोर्ड की अनुशंसा पर उनकी चाही जगह पर ट्रांस किया जाएगा. इसके अलावा दिव्यांग कैटेगरी के अधिकारी और कर्मचारियों, जो 40 प्रतिशत से ज्यादा दिव्यांग श्रेणी में हैं. उनके ट्रांसफर नहीं होंगे या उनकी मर्जी के मुताबिक होंगे.