कौन है बालाघाट की सुमा उइके? पीएम मोदी ने मन की बात में किया जिक्र, जानें 10वीं पास दीदी की अनोखी कहानी

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बालाघाट : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम के 123वें एपिसोड में मध्य प्रदेश के बालाघाट की रहने वाली महिला सुमा उईके के बारे में जिक्र किया. उन्होंने कहा, ‘बालाघाट जिले की सुमा उईके स्वयं सहायता समूह से जुड़कर मशरूम की खेती और पशुपालन का प्रशिक्षण लिया. धीरे-धीरे उन्होंने अपनी आय बढ़ाई और छोटे-छोटे प्रयासों से न केवल स्वयं को सशक्त बना रही हैं, बल्कि देश को भी आत्मनिर्भर बना रही हैं.’ यहां जानते हैं कि कौन हैं सुमा उईके? जिसकी  सफलता की कहानी पीएम मोदी ने मन की बात में सुनाई.

मशरूम की खेती और पशुपालन की ट्रेनिंग से मिली आत्मनिर्भरता की राह

पीएम मोदी ने कहा, ‘ऐसा ही एक चेहरा है मध्य प्रदेश की सूमा उईके. सूमा जी का प्रयास बहुत सराहनीय है. उन्होंने बालाघाट जिले के कटंगी ब्लॉक में सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़कर मशरूम की खेती और पशुपालन की ट्रेनिंग ली. इससे उन्हें आत्मनिर्भरता की राह मिल गई.’

कौन हैं सुमा उईके?

सुमा उईके मध्य प्रदेश के बालाघाट के कटंगी ब्लॉक के छोटे से गांव भजियापार की रहने वाली हैं और वो आजीविका मिशन से जुड़े स्वयं सहायता समूह का संचालन करती हैं और मशरूम उत्पादन का कार्य करती हैं. उन्होंने 10वीं तक पढ़ाई की है. हालांकि वो खुद आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ दूसरे को भी रोजगार दे रही हैं.

आदिवासी बाहुल्य ग्राम में रहने वाली अपने  परंपरागत रीतिरिवाज में जीवन यापन करती थीं और अपने घर गृहस्थी के कार्य करती थीं. वहीं पिछड़े ग्राम में होने के कारण उन्हें परिवार के सदस्यों द्वारा घर से बाहर निकलने नहीं दिया जाता था. ऐसे में उन्हें आजीविका मिशन के कर्मियों द्वारा स्व-सहायता समूह के बारे में जानकारी दी गई, जिसमें कृषि एवं पशु पालन का प्रशिक्षण, व्यवसायिक  प्रशिक्षण, नए व्यवसाय प्रारंभ करने के लिए लोन की जानकारी शामिल थी.

बता दें कि सुमा उईके साल 2014 में स्व सहायता समूह से जुड़ी, जिसमें उन्हें अध्यक्ष बनाया गया.  फिर साल 2017 में आजीविका मिशन से जुड़ी. इसके बाद उन्होंने मशरूम की खेती के बारे में ट्रेनिंग ली. यहां से ही उन्हें आत्मनिर्भर बनने की चाहत हुई. इसके लिए वो कई जगहों पर ट्रेनिंग की और थर्मल थेरेपी की स्किल्स सीखी.

सुमा दीदी समूह से जुड़े होने के कारण आजीविका मिशन से अवसर की तलाश में थी और प्रशिक्षण मिलने पर सर्वप्रथम रिवाल्विंग फंड की राशि 2000 लोन पर लेकर अपने ही घर पर आयस्टर मशरूम की खेती वर्ष 2021 मे प्रारंभ किया. जिसे उन्होंने एक वर्ष तक लगातार किया और अपने ग्राम स्तर पर एक आजीविका का साधन बनाया. नियती  को कुछ और ही मंजूर था. लॉकडाउन लगने पर मशरूम की बिक्री कम होने पर यह खेती बंद करना पड़ा. हालांकि 2022 में जनपद पंचायत कटंगी परिसर में दीदी कैंटीन संचालन करने का अवसर मिला.

10वीं पास सुमा उईके आज कैसे दे रही लोगों को रोजगार?

आजीविका मिशन के दौरान उन्हें प्रधानमंत्री मुद्रा लोन के बारे में जानकारी मिली, जिसके बाद उन्होंने लोन के लिए अप्लाई किया. लोन मिलते ही उन्होंने कटंगी शहर में अपना आजीविका थर्मल थेरेपी सेंटर शुरू किया, जिससे वो आत्मनिर्भर बनी और दूसरे को रोजगार मुहैया कराया. सुमा उईके आज मशरूम की खेती के साथ-साथ पशुपालन भी कर रही है.

बता दें कि सूमा की आय बढ़ी तो उन्होंने अपने काम का विस्तार भी किया. छोटे से प्रयास से शुरू हुआ ये सफर अब दीदी कैंटीन और थर्मल थैरेपी सेंटर तक पहुंच चुका है.

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