फसल बचाने के लिए भरमार बंदूक से फायरिंग कर 17 बंदरों का शिकार, जांच में जुटा वन विभाग

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रायपुर। बेमेतरा जिले के एक गांव में 17 बंदरों को भरमार बंदूक से फायर कर बेरहमी से मारने का मामला सामने आया है। घटना की जानकारी मिलने के बाद मौके पर वन विभाग की टीम पहुंची भी थी, लेकिन घटनास्थल पर जाने के बजाय सरपंच तथा गांव के कोटवार से चर्चा कर मौके से बैरंग वापस लौट गई। घटना की जानकारी वन मुख्यालय तक पहुंचने के बाद रविवार को विभागीय अधिकारी मौके पर पहुंचे। दुर्ग सीसीएफ डॉ. केएच मियाचियो के मुताबिक, अज्ञात लोगों के खिलाफ पीओआर दर्ज कर मामले की जांच की जा रही है।

बेलगांव के पंच सीताराम वर्मा के मुताबिक, बंदरों को मारने की घटना बुधवार की है। पंच के अनुसार, उसने गांव में देखा, किसी दूसरे शहर से आए दो शिकारी बंदरों पर भरमार बंदूक से फायर कर रहे थे। पूछने पर उसने बताया कि उसे बंदरों को भगाने तथा मारने के लिए कहा गया है। इस वजह से वे बंदरों को मार रहे हैं। इसके बाद सीताराम ने अन्य ग्रामीणों के साथ मिलकर दोनों शिकारियों को बंदरों पर फायर करने से रोका और घटना की जानकारी वन अफसरों को दी।

दो दिन बाद पहुंचे वन अफसर

सीताराम के मुताबिक, घटना की जानकारी वन विभाग के अफसरों को तत्काल दे दी गई थी। घटना की जानकारी मिलने के बाद शुक्रवार को वन विभाग के अफसर घटनास्थल पहुंचने के बजाय गांव के सरपंच, कोटवार तथा अन्य के साथ बैठक कर वापस लौट गए। इसके बाद पंच ने घटना की जानकारी पुनः अफसरों को दी। तब दुर्ग डीएफओ के नेतृत्व में वनकर्मी तथा डॉक्टरों की टीम मौके पर पहुंची और मृत बंदरों का पोस्टमार्टम किया।

गांववासी बदबू से परेशान

सीताराम के अनुसार, मामला वन अपराध से जुड़ा है, इस वजह से मृत बंदरों का उन लोगों ने अंतिम संस्कार नहीं किया, जिसके चलते गांव के लोग दो दिन तक बदबू से परेशान होते रहे। स्थिति ऐसी थी कि पुरुष और महिलाएं निस्तारी के लिए तालाब तक नहीं पहुंच पा रहे थे।

इसलिए बंदरों को मौत की घाट उतारा

दुर्ग सीसीएफ के मुताबिक, प्रारंभिक जानकारी में यह बात सामने आई है कि बंदर फसलों को नुकसान पहुंचा रहे थे। इस वजह से बंदरों को मारा गया। इसकी जांच दुर्ग तथा कवर्धा डीएफओ को दी गई है। मामले की बिसरा जांच के भी निर्देश दिए गए हैं।

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