जिंदगी में पहली बार देखा माइनस बिजली बिल-रवि जायसवाल
सोलर सिस्टम लगाने बैंक से आसान मासिक किश्तों में मिलता है लोन
रायपुर : पीएम सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना गरीब और मध्यम वर्ग परिवारों को महंगे बिजली बिल से निजात दिलाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल हैं। जिसमें हितग्राही अपनी छत पर सोलर पैनल के माध्यम बिजली उत्पादन कर अपनी आवश्यकता के बाद बचे सरप्लस बिजली को बेच कर आय भी अर्जित कर सकता है। जिन लोगों ने इस योजना का लाभ लेकर अपनी छतों में सोलर पैनल लगवाए हैं उनके बिजली बिल में इसका असर साफ तौर पर देखा जा सकता है।
रायगढ़ जिले के रवि जायसवाल ने अपने घर पर दिसंबर माह में 3 किलो वाट का सोलर प्लांट लगवाया है। इसके लिए उन्हें बैंक लोन भी आसानी से मिल गया। आवेदन करने के बाद विद्युत विभाग ने जल्द उनके घर सोलर प्लांट लगवा दिया। योजना की सब्सिडी भी कुछ ही दिनों में खाते में आ गई। उन्होंने बताया कि पहले उनका बिल जो औसतन 3 से 4 हजार के बीच आता था, वो अब घट कर एक तिहाई से भी कम हो गया है। एक बार बिल माइनस में आया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने पहली बार अपनी जिंदगी में बिजली का बिल माइनस में देखा है। उन्होंने कहा कि सोलर प्लांट की लंबी लाइफ है, एक बार इन्वेस्टमेंट कर आगे 25 सालों तक इस सोलर प्लांट से लाभ लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से यह योजना राहत तो देती ही है साथ ही पर्यावरण संरक्षण और हरित ऊर्जा के उद्देश्य पूर्ति में भी काफी कारगर है। उन्होंने दूसरों को भी योजना का लाभ लेने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि अपनी जरूरत की बिजली छत पर बनाएं और सरप्लस बिजली बेच कर पैसे भी कमाएं।
जैसा कि योजना का नाम पीएम सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना है, इसका उद्देश्य सौर ऊर्जा के माध्यम से हितग्राहियों को 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली उपलब्ध कराना है। यह किफायती बिजली पाने का सबसे प्रभावी तरीका है। केंद्र और राज्य सरकार की सब्सिडी के बाद सोलर सिस्टम लगाने के बाद इसकी लागत भी काफी कम हो गई है। बैंको से भी कम दरों पर आसान मासिक किश्त के साथ लोन की सुविधा भी उपलब्ध है।
ऐसे ले सकते हैं 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली
यदि घरेलू उपभोक्ता का प्रतिमाह औसत खपत 300 यूनिट है तब उर्जा प्रभार, नियत प्रभार, ड्यूटी, सेस तथा वी सी ए, सब मिलाकर कुल 2160 रूपए प्रतिमाह बिजली बिल बनता है अर्थात एक वर्ष का कुल औसत खपत 3600 यूनिट मान कर चले तो एक वर्ष का बिजली बिल 25,920 रूपए के लगभग आयेगा। परन्तु यदि उपभोक्ता ने 3 किलो वॉट का सोलर सिस्टम स्थापित कर लिया तो प्रतिदिन 12 यूनिट के आधार पर प्रतिमाह 360 यूनिट उत्पादन होगी। बारिश के मौसम में थोड़े कम उत्पादन को समायोजित करते हुए औसत उत्पादन को न्यूनतम मान कर 300 यूनिट प्रतिमाह मानते हैं तो एक वर्ष का उत्पादन 3600 यूनिट हो जाएगा। जिसमें दिन भर में उपभोक्ता के खपत के अतिरिक्त यूनिट सीधा आटोमेटिक बिजली विभाग के ग्रिड में एक्सपोर्ट हो जाएगा तथा रात में उसके द्वारा की जाने वाली खपत पर आटोमेटिक समायोजन हो जाएगा। अर्थात एक वर्ष के उपभोक्ता के खपत को बढ़ते क्रम में तथा प्रतिवर्ष बिजली बिल की बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए खपत यूनिट 3600 को उत्पादन यूनिट 3600 को बराबर मान लिया जाये तो वार्षिक बिजली बिल की लागत राशि 25,920 रुपए लगभग शून्य हो जाएगी। यदि खपत 300 यूनिट से अधिक है तो भी प्रति माह औसतन 300 यूनिट का उत्पादन कर उतनी बिजली उपभोक्ता मुफ्त में प्राप्त कर सकता है। खपत 300 यूनिट से कम हुई तो अतिरिक्त बिजली ग्रिड में एक्सपोर्ट हो जाती है जिसका भुगतान उपभोक्ता के बिल में एडजस्ट कर दिया जाता है।
आसान मासिक किश्तों में बैंक लोन उपलब्ध
केंद्र और राज्य सरकार से मिल रही सब्सिडी के बाद उपभोक्ता के लिए 1 किलोवॉट की लागत 15 हजार, 2 किलोवॉट की 30 हजार और 3 किलोवॉट की लागत 72 हजार रुपए रह गई है। साथ ही इसके लिए बैंकों से करीब 6.5 प्रतिशत की दर से लोन आसान मासिक किश्तों के साथ मिल जाता है। यदि उक्त ब्याज दर के साथ 10 वर्षों का लोन भी उपभोक्ता लेते हैं तो उन्हें 1 किलोवॉट के लिए 170 रुपए, 2 किलोवॉट के लिए 341 रुपए और 3 किलोवॉट के लिए 818 रुपए की किश्त आती है। यह 300 यूनिट के लिए लगने वाले मासिक बिजली बिल से भी कम है।