मधुमक्खी पालन बनीं रोज़गार की कुंजी : अतिरिक्त आय का सशक्त माध्यम बना मधुमक्खी पालन, शहद ने घोले उदय राम के जीवन में मिठास

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रायपुर : किसानों की आय बढ़ाने एवं ग्रामीण उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा किसानों को खेती के साथ मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। यह पहल किसानों के लिए कम लागत में अधिक लाभ देने वाला वैकल्पिक व्यवसाय बनकर उभरी है।

मधुमक्खी पालन एक कृषि आधारित लाभकारी व्यवसाय है, जिसमें शहद, मोम, रॉयल जेली एवं प्रोपोलिस जैसे बहुमूल्य उत्पाद प्राप्त होते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र बलरामपुर के द्वारा वैज्ञानिक पद्धति से मधुमक्खी पालन अपनाने हेतु किसानों को निरंतर प्रशिक्षण, तकनीकी मार्गदर्शन एवं जागरूकता प्रदान की जा रही है।

प्रगतिशील किसान उदय राम बने प्रेरणास्रोत

मधुमक्खी पालन गांव स्तर पर रोजगार सृजन का प्रभावी माध्यम बना

बलरामपुर जिला के विकासखंड बलरामपुर अंतर्गत ग्राम मंगरहारा निवासी कृषक श्री उदय राम ने कृषि विज्ञान केंद्र से प्रशिक्षण प्राप्त कर खेती के साथ मधुमक्खी पालन को अपनाया। प्रारंभ में उन्होंने मात्र 2 मधुमक्खी बक्सों से इस व्यवसाय की शुरुआत की थी, जो आज 20 बक्सों तक पहुँच चुका है। श्री उदय राम की सफलता से प्रेरित होकर ग्राम मंगरहारा के 10 से अधिक परिवारों ने मधुमक्खी पालन व्यवसाय प्रारंभ किया है और अतिरिक्त आय अर्जित कर रहे हैं। इस प्रकार मधुमक्खी पालन गांव स्तर पर रोजगार सृजन का प्रभावी माध्यम बन रहा है।

उदय राम शहद बेचकर सालाना 2 से 2.5 लाख रुपये कर रहे हैं आय अर्जित

श्री उदय राम वर्तमान में प्रतिवर्ष 400 से 500 किलोग्राम से अधिक गुणवत्तायुक्त शहद का उत्पादन कर रहे हैं। बाजार में उनके शहद की कीमत 500 प्रति किलोग्राम तक मिल रही है। शहद के साथ-साथ मोम, रॉयल जेली एवं प्रोपोलिस जैसे उत्पाद भी उन्हें प्राप्त हो रहे हैं, जिनकी बाजार में अच्छी मांग है। श्री उदय राम शहद बेचकर सालाना 2 से 2.5 लाख रुपये  अर्जित कर रहे हैं।

मधुमक्खी पालन बक्से पर दी जा रही सब्सिडी

कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के अनुसार बलरामपुर- रामानुजगंज जिले की जलवायु एवं पर्यावरण मधुमक्खी पालन के लिए अत्यंत अनुकूल है। लघु, सीमांत एवं भूमिहीन किसान भी इस व्यवसाय को बिना अतिरिक्त भूमि के प्रारंभ कर सकते हैं। 5 से 10 मधुमक्खी बक्सों से भी यह कार्य सफलतापूर्वक किया जा सकता है। कम श्रम और सरल प्रक्रिया के कारण महिला और बेरोजगार युवा भी मधुमक्खी पालन को आसानी से अपना सकते हैं। शासन द्वारा मधुमक्खी बक्से पर दी जा रही सब्सिडी इस व्यवसाय को और सुलभ बना रही है।

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