रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार ने कृषि भूमि की रजिस्ट्री को लेकर बड़ा फैसला लिया है. अब प्रदेश में कृषि भूमि की रजिस्ट्री के लिए ऋण पुस्तिका अनिवार्य नहीं होगी. सीएम विष्णु देव साय और वित्त मंत्री ओपी चौधरी की पहल से प्रदेश के किसानों और नागरिकों को बड़ी राहत मिली है. इस पहल के तहत अब राज्य में रजिस्ट्री प्रक्रिया ज्यादा सरल, पारदर्शी और त्वरित होगी. इसके अलावा अब किसानों को पटवारी या तहसील कार्यालय के चक्कर भी नहीं काटने पड़ेंगे. इससे समय और धन की बचत होगी. साथ ही भ्रष्टाचार पर विराम लगेगा.
छत्तीसगढ़ सरकार का बड़ा फैसला
पंजीयन विभाग ने कृषि जमीन के लिए लोन पुस्तिका को गैर-जरूरी मानते हुए रजिस्ट्री में इसकी अनिवार्यता खत्म कर दी है. प्रदेश के वित्त और पंजीयन मंत्री ओपी चौधरी के निर्देश पर आईजी पंजीयन पुष्पेंद्र मीणा ने हाल ही में रजिस्ट्री अधिकारियों को पत्र लिखकर इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए हैं.
आदेश जारी
पंजीयन विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि कृषि भूमि के राजस्व अभिलेखों में प्रविष्टियां दर्ज कर किसानों को ऋण पुस्तिका जारी की जाती थी. इसमें समय-समय पर दिए जाने वाले ऋण, बंधक आदि का रिकॉर्ड भी दर्ज होता था. वर्तमान में छत्तीसगढ़ में राजस्व अभिलेख ऑनलाइन हो चुके हैं और भूमि पर दर्ज ऋण की प्रविष्टियां ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से की जाती हैं. राजस्व अभिलेखों के गिरदावरी रिकॉर्ड ऑनलाइन अपडेट होते हैं, जो ऋण पुस्तिका में अपडेट नहीं हो पाते.
पंजीयन अधिकारियों द्वारा रजिस्ट्री के समय ऑनलाइन प्रविष्टियों से डेटा का मिलान किया जाता है और दस्तावेजों के शुल्क निर्धारण या पंजीयन के लिए ऋण पुस्तिका की कोई विशेष प्रासंगिकता नहीं है. साथ ही पंजीयन अधिकारियों के पास ऋण पुस्तिका के तथ्यों की सत्यता जांचने का कोई प्रावधान नहीं है.
भुइयां पोर्टल से किसानों को ऑनलाइन मिल रही जानकारी
अक्सर देखा गया है कि भौतिक ऋण पुस्तिका की कमी या अन्य कारणों से क्रेता किसानों को जमीन की खरीद-बिक्री के बाद नई ऋण पुस्तिका समय पर नहीं मिल पाती, जिससे पक्षकारों को अनावश्यक परेशानी होती है और शासन की छवि भी प्रभावित होती है. प्रदेश में 2017 से दस्तावेजों का ऑनलाइन पंजीयन हो रहा है और भुइयां पोर्टल से किसानों को नक्शा, खसरा और बी-1 की प्रति ऑनलाइन मिल रही है. विक्रेता के स्वामित्व के सत्यापन के लिए पंजीयन सॉफ्टवेयर को भुइयां के साथ एकीकृत किया गया है, जिससे पंजीयन के समय दस्तावेजों में वर्णित तथ्यों का राजस्व विभाग के डेटा से ऑनलाइन मिलान हो जाता है.
शासन ने राजस्व विभाग के सॉफ्टवेयर में ऑटो म्यूटेशन की व्यवस्था की है, जिसके तहत भूमि के पंजीयन के साथ ही खसरे का बटवारा स्वतः हो जाता है और नई बी-1 जनरेट हो जाती है, जिसमें क्रेता और विक्रेता की भूमि की जानकारी स्वतः अपडेट हो जाती है. प्रदेश में भूमि पंजीयन से लेकर अन्य कार्य ऑनलाइन हो रहे हैं और पंजीयन प्रणाली को पेपरलेस भी किया गया है. भुइयां पोर्टल पर बी-1, खसरा और नक्शा ऑनलाइन उपलब्ध हैं और मान्य है. अब भौतिक ऋण पुस्तिका या किसान किताब की पंजीयन के लिए आवश्यकता नहीं है.