नीति आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 20 हजार से कब आबादी वाले शहरों में भी मनरेगा लागू करने की मांग उठाई

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०० प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई नीति आयोग शाषी परिषद की बैठक में शामिल हुए मुख्यमंत्री बघेल

रायपुर| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में रविवार को नीति आयोग शाषी परिषद (गवर्निंग काउंसिल) की बैठक में छत्तीसगढ़ का मुद्दा उठा। राष्ट्रपति भवन में हुई बैठक में प्रदेश की ओर से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शामिल हुए थे। इस बैठक में उन्होंने 20 हजार से कब आबादी वाले शहरों में भी मनरेगा लागू करने की मांग उठाई। मुख्यमंत्री ने मनरेगा को महत्वपूर्ण बताते हुए इसे शहरी क्षेत्र में लागू करने की मांग उठाई। उनका कहना था, शहरों के निकट स्थित ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के तहत काम को मंजूरी दी जानी चाहिए। इसके अलावा 20 हजार से कम आबादी के शहरों में मनरेगा लागू की जाए। इससे इन क्षेत्रों के कामगारों को निश्चित आय की गारंटी मिल पाएगी।

 

 

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छत्तीसगढ़ में अधिकतर नगर पंचायतों की आबादी 20 हजार से कम है। इसकी वजह से मुख्यमंत्री की इस मांग को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसके अलावा अधिसूचित क्षेत्र की नगर पंचायतों को फिर से ग्राम पंचायत बनाने की मांग उठ रही है। इसकी भी बड़ी वजह मनरेगा ही है। कहा जा रहा है, नगर पंचायत बनने के बाद वहां मनरेगा का काम नहीं मिल रहा है। इसकी वजह से कम आय वाले तबकों में नाराजगी बढ़ रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वस्तु एवं सेवा कर- जीएसटी क्षतिपूर्ति का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा जीएसटी कर प्रणाली से राज्यों को राजस्व का बड़ा नुकसान हुआ है। खासकर छत्तीसगढ़ जैसे उत्पादक राज्य इससे घाटे में हैं। सरकार ने अब तक नुकसान की भरपाई की व्यवस्था की थी। जून 2022 के बाद से वह भी खत्म हो गई। उन्होंने जीएसटी क्षतिपूर्ति अनुदान अगले पांच सालों तक जारी रखने का भी अनुरोध किया है। छत्तीसगढ़ सरकार यह मांग बार-बार उठाती रही है। इसके लिए वाणिज्यिक कर मंत्री टीएस सिंहदेव और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल केंद्रीय वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री को कई बार पत्र लिख चुके हैं।

 

 

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नीति आयोग की बैठक में खनिज रायल्टी दरों में संशोधन का मामला भी उठा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कोयला सहित मुख्य खनिजों की रॉयल्टी दर में संशोधन का आग्रह किया। उनका कहना था, कानून के मुताबिक खनिजों की रायल्टी दर में प्रत्येक तीन साल बाद संशोधन होना है। आखिरी बार 2014 में यह संशोधन हुआ था। 2017 में यह संशोधन हो जाना था, लेकिन अब तक नहीं हुआ। इसकी वजह से छत्तीसगढ़ को राजस्व का नुकसान हो रहा है। मुख्यमंत्री कई बार इसके लिए पत्राचार भी कर चुके हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नवीन पेंशन योजना में जमा राशि को वापस करने की भी मांग उठाई। उनका कहना था, नई पेंशन योजना के तहत कर्मचारियों और राज्य सरकार के अंशदान का 17 हजार 240 करोड़ रुपया NSDL के पास जमा है। उनकी सरकार ने राज्य कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया है। उसके लिए उन्हें वह जमा राशि चाहिए। केंद्र सरकार की संस्था, पेंशन कोष नियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) का कहना है कि यह राशि वापस देने की कोई कानूनी व्यवस्था मौजूद नहीं है। मुख्यमंत्री इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री के साथ पहले भी पत्राचार कर चुके हैं।

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