मंत्री श्री रामविचार नेताम नई दिल्ली में आयोजित ’राष्ट्रीय रबी सम्मेलन’ में हुए शामिल

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प्रदेश के किसानों की समस्याओं और अपेक्षाओं पर रखा विचार

किसान हित में लिए गए नीतिगत फैसलों और योजनाओं के क्रियान्वयन की दी जानकारी

केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री चौहान सहित देश के विभिन्न राज्यों के कृषि मंत्री थे उपस्थित 

रायपुर : छत्तीसगढ़ के कृषि विकास एवं किसान कल्याण मंत्री श्री रामविचार नेताम आज नई दिल्ली में आयोजित ’राष्ट्रीय रबी सम्मेलन 2025’ में शामिल हुए। उन्होंने राज्य के किसानों की समस्याओं और अपेक्षाओं को केंद्र में रखते हुए विस्तारपूर्वक अपना विचार प्रस्तुत किया। इस अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान सहित विभिन्न राज्यों के कृषि मंत्री, कृषि वैज्ञानिक एवं वरिष्ठ अधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

कृषि मंत्री श्री नेताम ने इस अवसर पर कहा कि छत्तीसगढ़ की पहचान धान और मिलेट्स से जुड़ी है। यह केवल अन्न नहीं, बल्कि हमारे इतिहास, परंपरा और संस्कृति की धरोहर है। राज्य के किसानों ने कठिन परिस्थितियों में भी कृषि परंपरा को जीवित रखा है। अब समय है कि इन परंपरागत फसलों को आधुनिक अनुसंधान और नीति समर्थन से नई मजबूती मिले।

उन्होंने विशेष रूप से छत्तीसगढ़ की परंपरागत सुगंधित धान किस्मों का उल्लेख करते हुए कहा कि ये किस्में हमारे गांवों की पहचान हैं, किंतु कम उत्पादकता के कारण किसान वांछित लाभ से वंचित हो जाते हैं। श्री नेताम ने आग्रह किया कि इन किस्मों पर अनुसंधान कर उत्पादकता बढ़ाने के प्रयास हो और इन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में शामिल किया जाए।

कृषि मंत्री ने मोटे अनाजों के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि कोदो और कुटकी जैसे मिलेट्स छत्तीसगढ़ के किसानों की आजीविका से गहराई से जुड़े हैं। इनके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित कर शासकीय उपार्जन सुनिश्चित करना आवश्यक है, ताकि किसानों को सीधा लाभ मिल सके। धान की लंबी अवधि वाली किस्मों के कारण रबी की फसल समय पर बोने में आने वाली कठिनाइयों पर भी उन्होंने ध्यान आकर्षित किया। श्री नेताम ने कहा कि कम अवधि वाली धान किस्मों के विकास पर अनुसंधान को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, ताकि किसान रबी की फसलें समय पर लेकर उत्पादन क्षमता बढ़ा सकें।

इसके साथ ही उन्होंने कुल्थी की खेती का मुद्दा उठाते हुए कहा कि यह फसल छत्तीसगढ़ में व्यापक पैमाने पर बोई जाती है और इसमें औषधीय तथा पोषणीय गुण अपार हैं। इसके बावजूद अब तक इसका समर्थन मूल्य घोषित नहीं हुआ है। उन्होंने आग्रह किया कि कुल्थी को भी एमएसपी पर शामिल किया जाए। उपार्जन की व्यवस्था की जाए और इसे भारत सरकार द्वारा प्रमुख बाजारों से जोड़ा जाए। साथ ही इसके महत्व का व्यापक प्रचार-प्रसार भी होना चाहिए।

मंत्री श्री नेताम ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के वर्ष 2047 तक विकसित भारत का संकल्प किसानों की शक्ति पर आधारित है। यदि किसानों को उचित मूल्य, वैज्ञानिक अनुसंधान और बाजार की मजबूती मिलेगी, तो भारत निश्चित ही उस लक्ष्य तक पहुँचेगा। उन्होंने कहा कि किसान ही आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत के वास्तविक निर्माता हैं।

इस अवसर पर श्री नेताम ने केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व की विशेष प्रशंसा करते हुए कहा कि एक किसान पुत्र होने के नाते उन्होंने किसानों की पीड़ा और परिश्रम को नजदीक से समझा है। उनके नेतृत्व में कृषि मंत्रालय नई ऊँचाइयाँ छू रहा है और किसानों के हित में ठोस नीतियाँ लागू हो रही हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के सुशासनकारी नेतृत्व की भी सराहना की और कहा कि मुख्यमंत्री जी के मार्गदर्शन में किसानों के विकास को नई दिशा मिल रही है। राज्य सरकार लगातार किसान हितैषी योजनाएँ लागू कर रही है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है और किसानों का जीवन स्तर बेहतर हो रहा है।

केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने भी श्री नेताम के विचारों से सहमति जताते हुए आश्वासन दिया कि इन सभी विषयों पर गंभीरता से पहल की जाएगी और किसानों को इसका सीधा लाभ मिलेगा।

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